साल 1985-86 में उनके पिता शिवकिशन दमानी की मौत के बाद उन्होंने बॉल बेयरिंग का बिजनेस बंद कर दिया. पिता शेयर ब्रोकर भी थे तो उन्हें बचपन से ही मार्केट की थोड़ी समझ थी. उन्होंने पूरा फोकेस मार्केट पर किया और इसमें उन्हें साथ मिला भाई गोपीकिशन का. 5000 रुपये से निवेश की शुरुआत की थी.
दमानी ने साल 1999 से पहले शेयर मार्केट से दुरी बना ली थी. वह रिटेल कारोबार में उतर गए. मुंबई के नेरूल बाजार की एक फ्रेंचाइजी की शुरुआत की. मामला जमा नहीं. साल 2002 में उन्होंने पवई में डीमार्ट का पहला स्टोर खोले. कंपनी के अब देशभर में 238 स्टोर हैं.
रिटेल कारोबार में उन्होंने लीक से हटकर काम किया. मार्जिन की जगह वॉल्यूम पर फोकस किए. कंपनी अपने सप्लायर को 7-10 दिन में पेमेंट दे देती है. इसी सेग्मेंट की दूसरी कंपनियां ये पैसे देने में 20-30 दिन लगाती हैं. कंपनी जहां भी स्टोर्स खोलती है, उसे खरीद लेती है. किराए पर नहीं लेती है.
पिछले 4 साल में डीमार्ट के शेयर में 12 गुना का मुनाफा हुआ. पिछले 5 साल में आमदनी भी दोगुनी हो गई. डीमार्ट के 2011-12 में जहां 55 स्टोर्स थें, वहीं 2015-16 में 110 हो गए. 2020-21 में ये 238 पर पहुंच गए हैं.