Shimla: स्टूडेंट फॉर डवलपमेंट यानी विकासार्थ विद्यार्थी (एसएफडी) ने हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में बरसात के दौरान आई आपदा और पर्यावरण से जुड़े अन्य विषयों पर सोमवार को एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में पर्यावरण विशेषज्ञ, प्राध्यापक, सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विद्यार्थियों ने अपने विचार व्यक्त किये।
सोमवार को शिमला में स्थित पीटर हाॅफ में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आपदा के समय एसएफडी और सुनील उपाध्याय ट्रस्ट सामूहिक रूप से सहायता की है। आज जब हालत थोड़े सामान्य हैं तो सामूहिक रूप से आपदा के समाधान और हिमाचल में विकास के संतुलित मॉडल के लिए विचार करते हुए जनभागीदारी के माध्यम से अभियान और कार्य योजना तय करने की आवश्यकता है, जिसका सही समय पर विकासार्थ विद्यार्थी ने शुरुआत किया है। हिमाचल प्रदेश के सभी संस्था, संगठन, समूह और जन सामान्य से इस अभियान में साथ आने की जरूरत है।
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विकासार्थ विद्यार्थी के राष्ट्रीय संयोजक राहुल गौड़ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विकास का अपना पारंपरिक तरीका रहा है। देवभूमि की अपनी परंपराओं को स्मरण करते हुए उनके आधार पर प्रकृति के साथ प्रगति का विचार करना होगा। एनआईटी हमीरपुर के निदेशक प्रो. हीरालाल मुरालीधर सूर्यवंशी ने कहा कि सहभागिता से ही समाधान संभव है, अधिक रिसर्च, आंकड़े एकत्र करते हुए लोगों के बीच जाने की आवश्यकता है।
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में दो तकनीकी सत्र हुए, जिसमें ‘हिमाचल प्रदेश में हालिया आपदा का मूल्यांकन तथा भविष्य की राहें’ व ‘ढांचागत विकास व प्रभाव मूल्यांकन’ जैसे विषयों पर चर्चा की गई। संगोष्ठी में विषय से संबंधित प्रमुख लोग रहे। सेमिनार के बाद निकले सार को पॉलिसी के रूप में प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा। विकासार्थ विद्यार्थी हिमाचल प्रदेश की प्रदेश संयोजिका शिल्पा कुमारी ने बताया कि विकासार्थ विद्यार्थी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का एक प्रकल्प है, जो पर्यावरण संबंधी विषयों पर कार्य करती है।