Shimla: मानसून सीजन में आई प्राकृतिक आपदा ने हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुक्खू सरकार की माली हालत बिगाड़ दी हैं। आपदा प्रभावितों के लिए राज्य सरकार 4500 करोड़ के विशेष राहत पैकेज की घोषणा कर चुकी है। विशेष बात यह है कि आपदा राहत कार्यों के लिए अतिरिक्त धन की व्यवस्था में जुटी सुक्खू सरकार एक बार फिर 1000 करोड़ रुपये का लोन लेगी। इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस ऋण को अगले 20 वर्षों की अवधि के लिए लिया जाएगा।
सचिव वित्त की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार इस कर्ज को 18 अक्तूबर 2043 तक चुकता कर दिया जाएगा। इस कर्ज़ को लेने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के पास राज्य सरकार की प्रतिभूतियों की नीलामी की जाएगी। कर्ज लेने का मकसद राज्य में विकास कार्यों को आगे बढ़ाना है। लेकिन माना जा रहा है कि राज्य सरकार को आपदा राहत कार्यों और अन्य वजहों से यह नया ऋण लेना पड़ रहा है।
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हिमाचल पर 78 हज़ार करोड़ के कर्ज, अधिक कर्ज लेने वाले राज्यों में 5वां स्थान
हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में करीब 78 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। इससे पहले राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदा के बीच गत अगस्त माह में 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में आज पैदा होने वाले हर बच्चे पर 102818 रुपए से अधिक का कर्ज है जबकि भाजपा सरकार के सत्ता में आने से पहले प्रति व्यक्ति कर्ज 76630 रुपए था। इसके चलते वर्तमान सरकार को वर्ष 2023-24 में कर्ज अदायगी पर 9048 करोड़ रुपए व्यय करने होंगे। मौजूदा समय में प्रदेश पर 10 हजार करोड़ रुपए वेतन व पैंशन के अलावा 600 करोड़ रुपए के महंगाई भत्ते के अदा करने हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि हिमाचल प्रदेश इस समय अधिक कर्ज लेने वाले राज्यों में 5वें स्थान पर पहुंच गया है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने विधानसभा के मानसून सत्र में प्रदेश के वित्तीय हालात को लेकर प्रस्तुत श्वेत पत्र में यह खुलासा किया था। हिमाचल प्रदेश पर वर्ष 2017 में 47906 करोड़ रुपए का कर्ज था, जिसमें अब तक 29724 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बढ़ौतरी हो गई है।
मानसूनी आपदा ने मचाई तबाही, 9711 करोड़ का प्रत्यक्ष नुकसान
भारी बरसात की वजह से हिमाचल प्रदेश को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा है। मानसूनी आपदा ने कई जगह त्राही माम की स्थिति खड़ी कर दी। भूस्खलन, बाढ, बादल फटने की घटनाओं में कई लोगों को लील गया। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक मानसून सीजन में विभिन्न हादसों में 503 लोगों की जान गई। इनमें 147 लोगों की मौत भूस्खलन, बाढ व बादल फटने के कारण हुई। जबकि अन्य वर्षा जनित हादसों में 356 लोग मारे गए।
मानसून से प्रदेश में 2941 घर पूर्ण रूप से ढह गए, 12302 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा। इसके अलावा 421 दुकानें, 7247 पशुशालाएं भी ध्वस्त हो गईं। मानसून सीजन के दौरान राज्य के 169 स्थानों पर भूस्खलन हुआ, जबकि 72 स्थानों पर बाढ़ आई। कई जगह नेशनल हाइवे और सड़कें भूस्खलन से टूट गईं। जमीन धंसने से 200 गांव प्रभावित हुए। मानसून से राज्य में प्रत्यक्ष तौेर पर 9711 करोड़ का नुकसान हुआ जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर नुकसान का आंकड़ा 12 हज़ार करोड़ है।