New Delhi : प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के एक बयान से ही विपक्षी एकता में सेंध लगता दिख रहा है। 12 जुलाई को एकजुट होकर विपक्षी पार्टी भाजपा (BJP) को हराने की रणनीति बनाने की बात कर रहे थे, वहीं अब यूसीसी (UCC) के मुद्दे पर ही दो फाड़ होते दिखाई दे रहे हैं। यहां बता दें कि 23 जून को पटना में देश के करीब 15 विपक्षी दल विपक्षी एकता कायम करने के लिए जुटे थे, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के भोपाल (Bhopal) में यूसीसी को लेकर दिए गए बयान के बाद विपक्ष में फूट पड़ती नजर आ रही है। यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसले पर आम आदमी पार्टी के बाद अब शिवसेना (उद्धव गुट) ने समर्थन का ऐलान कर दिया है। वहीं, महाराष्ट्र की प्रमुख विपक्षी पार्टी एनसीपी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुई है।
प्रधानमंत्री ने भोपाल में वउउ को लेकर दिया था बयान
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता की जोरदार तरीके से वकालत की थी। उन्होंने कहा कि संविधान में सभी नागरिकों के लिए एक समान अधिकार मिला है। दो अलग-अलग कानूनों से घर तक नहीं चलता, तो देश कैसे चलेगा। बता दें कि राम मंदिर और अनुच्छेद-370 के बाद बीजेपी अब अपने तीसरे अहम अजेंडे समान नागरिक संहिता पर आगे बढ़ने को तैयार है। यूसीसी जनसंघ के दौर से ही उसके घोषणा पत्र में रहा है।
यूसीसी के मुद्दे पर भाजपा ने अभी किसी से समर्थन भी नहीं मांगा है, लेकिन अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी और शिवसेना (उद्धव गुट) ने बिन मांगे भाजपा को अपना समर्थन दे दिया। वहीं, महाराष्ट्र की प्रमुख विपक्षी पार्टियों में से एक शरद पवार की एनसीपी ने यूसीसी पर अपना स्टैंड क्लियर करते हुए कहा कि हम न तो इसका विरोध करेंगे और न ही समर्थन। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव नसीम सिद्दीकी ने कहा कि यूसीसी का तुरंत विरोध नहीं होना चाहिए। इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है। दुनिया के कई देशों में सभी के लिए एक जैसा कानून है। ऐसे कानूनों में महिलाओं को समान अधिकार जैसे मुद्दे शामिल हैं, इसलिए विरोध नहीं होना चाहिए। एनसीपी ने कहा कि हम लॉ कमीशन को अपनी सिफारिशें भेजेंगे।