नई दिल्ली। बचपन से साइकिल से शुरुआत करने के बाद गाड़ियों का सफर चलता जाता है. कभी बाइक, स्कूटी, कार, जीप, ट्रक… गाड़ी कोई भी हो, सबमें कुछ चीजें कॉमन होती हैं.
सबका टायर भी एक तरह का होता है. उनका साइज बेशक अलग होता है लेकिन रंग (सबका एक ही होता है.
हर गाड़ी के टायर का रंग काला होता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हर गाड़ी के टायर का रंग काला ही क्यों होता है? जानिए टायर के रंग से जुड़ी खास बातें
- इस रंगीली दुनिया में हर टायर का रंग काला रखा गया है. इसके पीछे एक बहुत खास वजह है. इसे टायर की मजबूती से जोड़कर भी देखा जाता है. दरअसल, टायरों को रबर से बनाया जाता है. रबर का रंग सफेद होता है और रबर से बने टायर बहुत जल्दी घिस जाते थे. ऐसे में टायरों की मजबूती पर सवाल खड़े होने लगे थे.
- फिर रिसर्च में पता चला कि रबर में कार्बन और सल्फर मिलाने से टायर को मजबूत बनाया जा सकता है. ऐसा करने के बाद टायर का रंग भी सफेद से काला हो गया.
- सादा रबर का जो टायर करीब 8 हजार किलोमीटर तक चल सकता है, वही कार्बनयुक्त रबर का टायर 1 लाख किलोमीटर तक चल सकता है. कार्बन के साथ इसमें सल्फर भी मिलाया जाता है. इससे पता चलता है कि टायर बनाने के लिए रबर में कार्बन उनकी मजबूती के लिए मिलाया जाता है.
- छोटे बच्चों की साइकिल के टायर रंगबिरंगे और काफी सुंदर होते हैं. उनके टायर में इस्तेमाल की गई रबर में कार्बन नहीं मिलाया जाता है. दरअसल, बच्चों का वजन कम होता है और ऐसे में टायर को ज्यादा मजबूत बनाने की चिंता नहीं रहती है.