नालंदा, बिहारशरीफ। गेंदा का फूल केवल सुंदरता बढ़ाने वाला फूल नहीं है, बल्कि एक ऐसा बहुपयोगी पौधा है जो मिट्टी के स्वास्थ्य, कीट प्रबंधन और जैविक खेती में अपनी अपनी प्रभावशाली भूमिका निभाता है। इसके जैविक यौगिक न केवल मिट्टी को कीट-मुक्त और उर्वर बनाते हैं. बल्कि अन्य फसलों की रक्षा और वृद्धि में भी सहायक सिद्ध होते हैं। गेंदा की खेती से पारिस्थितिक और कृषि में असाधारण परिवर्तन लाया जा सकता है। उक्त बातें हरनौत कृषि वैज्ञानिक केंद्र व्याख्याता डाॅ. रजनीश आयोजित सेमिनार के दौरान कही।

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उन्होंने कहा कि गेंदा की खेती के प्रमुख लाभ यह है कि 5° नेमाटोड और हानिकारक सूक्ष्म कीटों पर नियंत्रण जो गेंदा की जड़ों से निकलने वाला थायोफीन नामक यौगिक मिट्टी में मौजूद हानिकारक नेमाटोड्स को प्रभावी रूप से नियंत्रित करता है। विशेषकर अफ्रीकन फ्रेंच मेरीगोल्ड कार्य में सबसे अधिक प्रभावी पाई गई हैं। Iसीएआर और आइआरआइ के शोधों के अनुसार, गेंदा की फसल चक्र में शामिल करने से मिट्टी में नेमाटोड्स की संख्या में 60-70% तक की कमी आ सकती है। वहीं गेंदा की सतही जड़े मिट्टी को भुरभुरा और जल-संचारी बनाती हैं। इससे जहें गहराई तक फैल पाती हैं और जल निकासी में सुधार होता है।
गेंदा के सूखे फूल-पत्तियों जैविक खाद या कंपोस्ट में मिलाकर कार्बन स्रोत के रूप में काम आती है, जिससे बायोफ्यूमिगेशन होता है और मिट्टी रोगाणुरहित बनती है। साथ हीं गेंदा के अपघटित अवशेष मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों, फफूंदों और केंचुओं की संख्या बढ़ाते हैं। कटाई के बाद पौधे को हरी खाद के रूप में मिट्टी में मिलाना उर्वरता बढ़ाने का एक सशक्त तरीका है।
वहीं फसल चक्र और सहवर्ती खोती में भूमिकाः गेंदा को टमाटर, बैंगन, मिर्च, गाजर जैसी सब्जियों के साथ उगाने से कीट दबाव कम होता है और जैव विविधता में वृद्धि होती है। यह भूमि को विश्राम देते हुए मिट्टी की सेहत बनाए रखने में मदद करता है।
प्रजातियों का विशेष महत्व Tagetes erecta (आफ्रीकन गेंदा), बड़े आकार के फूल, सजावट व हरी खाद के लिए उपयुक्त। Tagetes patula (फ्रेंच गेंदा): लोटी ऊंचाई वाली प्रजाति, विशेष रूप से नेमाटोड नियंत्रण के सर्वोत्तम मानी जाती है प्राकृतिक कीट-विकर्षक के रूप में भूमिकाः गेंदा की तीव्र गंध एफिड्स, ब्रिप्स, व्हाइटफ्लाई और लीफ हॉपर जैसे कीटों को दूर रखने में मदद करती है। यह प्राकृतिक कीट प्रबंधन रणनीति के रूप में कारगर होता है।
मधुमक्खियों और परागण कीटों को आकर्षित करना
गेंदा के चमकीले फूल परागण मित्रों को आकर्षित करते हैं, जिससे आस-पास की फसलों में परागण और फलन क्षमता बढ़ती है।
क्षमता और ह्यूमिक एसिड में योगदान
गेंदा के अवशेषों से तैयार कंपोस्ट में पाए जाने वाले ह्यूमिक एसिड मिट्टी की जलधारण क्षमता, संरचना और जैविक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। यह एक औषधीय पौधा है, और जलने, कटने या चोट लगने की स्थिति में प्राथमिक उपचार के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके घाव-नाशक गुण त्वचा रोगों में भी उपयोगी माने जाते हैं।बताया जाता है कि गेंदा का फूल मात्र एक सजावटी पौधा नहीं बल्कि एक बहुआयामी कृषि साथी है। जिसे हर किसान और बागबानी प्रेमी को अपनी खेती प्रणाली में शामिल करना चाहिए। यह न केवल मिट्टी की कीटों से बचाता है बल्कि उसकी संरचना, जैविक जीवन, और जलधारण क्षमता को भी बेहतर बनाता है। गेंदा एक सजावटी पौधे से कहीं बढ़कर मिट्टी का संरक्षक, प्राकृतिक कीट प्रबंधक, और परागण सहयोगी है। इसकी सुलभता, कम लागत और बहुउपयोगी गुण इसे हर प्रकार की खेती के लिए एक मूल्यवान संसाधन बनाते हैं।


