शिमला। जिला सिरमौर के ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिल गया है। हाटी को एसटी का दर्जा देने को लेकर केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मिलने के बाद सुक्खू सरकार ने यह निर्णय लिया है। इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नए साल के पहले दिन सोमवार को कैबिनेट बैठक के बाद सचिवालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा गया है। केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मिलने के 10 घंटे के भीतर कैबिनेट ने हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने का फैसला लिया है।
उन्होंने कहा कि वह 3 जनवरी को नाहन का दौरा कर वहां के लोगों से इस विषय पर बात करेंगे। हाटी समदुाय लंबे समय से जनजातीय दर्ज की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मामला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र का था। केंद्र से आई अधिसूचना में त्रुटि के कारण प्रदेश सरकार हिमाचल में केंद्र की अधिसूचना को लागू नहीं कर पा रही थी। ऐसे में प्रदेश सरकार ने केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा था। इसके बाद जैसे ही केंद्र से स्पष्टीकरण आया तो प्रदेश सरकार ने बिना देरी के हाटी समुदाय को जनजाति दर्जा देने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी।
ट्रांसगिरी क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग 1967 से उत्तराखंड के जौनसार बाबर को जनजाति दर्जा मिलने के बाद से संघर्षरत थे। लगातार कई वर्षों तक संघर्ष के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को 14 सितंबर 2022 को अपनी मंजूरी दी थी। उसके बाद केंद्र सरकार ने 16 दिसंबर 2022 को इस बिल को लोकसभा से पारित करवाया। उसके बाद यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया। राज्यसभा से पारित होने के बाद सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इसे राष्ट्रपति के लिए भेजा गया था। 9 दिनों में ही राष्ट्रपति ने विधेयक पर लगाई मुहर लगा दी थी।
हाटी समुदाय में करीब 2 लाख लोग 4 विधानसभा क्षेत्र शिलाई, श्रीरेणुकाजी, पच्छाद तथा पांवटा साहिब में रहते हैं। जिला सिरमौर की कुल 269 पंचायतों में से ट्रांसगिरी में 154 पंचायतें आती हैं। इन 154 पंचायतों की 14 जातियों तथा उप जातियों को एसटी संशोधित विधेयक में शामिल किया गया है।