चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के पत्र का जवाब देते हुए कहा है कि राज्यपाल के पत्र सैद्धांतिक नहीं है वह पावर हंगर पत्र हैं। वह सभी पत्रों का जवाब देंगे लेकिन पावर हंगर पत्रों पर किसी भी सूरत में विचार नहीं किया जाएगा।
राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने शुक्रवार को पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि उन्होंने उनके किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया है। पंजाब में कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है और सरकारी ठेकों पर ड्रग्स बिक रही है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को अपने पत्र के माध्यम से अंतिम चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उनके पत्र का जवाब नहीं दिया गया तो वह संविधान की धारा 356 के तहत राष्ट्रपति को कार्रवाई की सिफारिश तथा आपराधिक कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे।
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इस पर पलटवार करते हुए शनिवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार के सत्ता में आने के बाद पंजाब में 50 हजार 871 करोड़ के 3420 प्रोजेक्ट आए हैं। इनमें टाटा समूह मुख्य रूप से शामिल है।
मान ने कहा कि पंजाब पुलिस लगातार ड्रग्स माफिया के विरुद्ध कार्रवाई कर रही है। पंजाब की कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ठीक है। पंजाब में पिछले करीब दो साल में दो लाख 70 हजार नई एमएसएमई यूनिट का पंजीकरण हुआ है। भगवंत मान ने कहा कि राज्यपाल ने चंडीगढ़ में तैनात पंजाब कैडर के एसएसपी को हटाते समय उनके साथ कोई राय नहीं की। पांच माह तक यह पद खाली पड़ा रहा।
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मान ने कहा कि राज्यपाल पुरोहित बताएं कि वह पंजाब के राज्यपाल हैं या चंडीगढ़ या केंद्र के प्रतिनिधि हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यपाल के पत्रों में किसी ठोस एजेंडे पर जानकारी मांगने की बजाए सत्ता की भूख की झलक नजर आ रही है। राज्यपाल संविधान की दोहाई तो देते हैं लेकिन संविधान की रक्षा नहीं कर रहे हैं।
पंजाब के राज्यपाल को राजस्थान से चुनाव लड़ने की सलाह देते हुए भगवंत मान ने कहा कि वह अगर पंजाब वासियों के हित में काम करना चाहते हैं तो केंद्र की तरफ एसडीआरएफ के रूप में अटके 9600 करोड़ दिलवाने के लिए शर्तों में ढील दिलवाएं।
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उन्होंने कहा कि वह राज्यपाल के सभी पत्रों का ठोस जवाब देंगे लेकिन कुर्सी बचाने के लिए किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे। आम आदमी पार्टी द्वारा शुरू की गई पंजाब के अधिकारों की लड़ाई लगातार जारी रहेगी। मान ने कहा कि पंजाब ने पहले भी आर्टिकल 356 को कई बार झेला है लेकिन वर्तमान में पूर्ण बहुमत की चुनी हुई सरकार के खिलाफ इसका इस्तेमाल करना आसान नहीं है। राज्यपाल धमकियां देने से पहले संविधान का अध्ययन करें।