यूपी| उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में हुई फायरिंग में तीन बदमाश मारे गए हैं| इनमें से एक अंशु दीक्षित है| अंशु दीक्षित ने ही दूसरे गुट के दो बदमाशों एक मुकीम काला और मेराज पर फायरिंग करके हत्या कर दी थी, फिर अंशु की पुलिस से भी मुठभेड़ हो गई, जिसमें पुलिस ने अंशु को मार गिराया| अंशु कैसे गुंडा बना और कैसे उसका रुतबा बढ़ता गया ये कहानी अपने आप में दिलचस्प है|
अंशु का आपराधिक सफर सीतापुर जिले के मानकपुर से शुरू हुआ| कुड़रा बनी निवासी अंशु दीक्षित लखनऊ विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के बाद अपराधियों के संपर्क में आया| कई वारदातों को अंजाम देकर उसने अपना खौफ कायम किया| एसटीएफ की मानें तो अंशु ने सुधाकर पांडेय, जय सिंह, संतोष सिंह व विक्रांत मिश्र के साथ मिलकर कई हत्याएं की हैं|
अपराध की दुनिया में पहला कदम
एक राजनैतिक पार्टी के नेता का बेटा उसकी बहन से छेड़छाड़ करता था| ऐसी हरकत से मना करने पर उस नेता के बेटे ने गुंडई की| सरेआम पिटाई करने के बाद अंशु पर गोली दाग दी| नेता के बेटे के द्वारा किए गए हमले में अंशु के पैर में गोली लगी| जब वो शिकायत लेकर थाने गया तो एसओ ने कार्रवाई करने से मना कर दिया|
इस दौरान उसके पूरे परिवार का उत्पीड़न किया गया| इस उत्पीड़न की वजह से उसकी भाभी को काफी तकलीफ उठानी पड़ी, इस दौरान भाभी का गर्भपात ही गया| उसके बाद से अंशु ने ठान लिया कि वह अब बदला लेकर ही रहेगा| अंशु को फैजाबाद के एक नेता का वरदहस्त मिला, इसलिए वह आराम से अपने काम को अंजाम देता गया|