Haridwar: गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय में उत्तराखण्ड साइंस एवं एजुकेशन एवं रिसर्च सेन्टर एवं टेक्नो हब लेबोरेट्रीज देहरादून (Uttarakhand Science and Education and Research Center and Techno Hub Laboratories Dehradun) के संयुक्त सहयोग से मिक्सड रियलिटी एवं इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Mixed Reality and Internet of Things) के अनुप्रयोग विषय पर एक तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया गया।
इस कार्यशाला में एवं टेक्नो हब के वैज्ञानिकों ने अपने ज्ञान को संकाय के छात्रों के साथ साझा किया जाऐगा। कार्यशाला में प्रतिभाग करने के लिए 250 से अधिक छात्रों द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया, किन्तु प्रतिभाग के लिए लगभग 55 छात्रों का ही चयन किया गया। अन्तिम दिन उक्त छात्रों की परीक्षा ली जाएगी जिसमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को पांच हजार, तीन हजार एवं दो हजार की धनराशि क्रमशः प्रदान की जाएगी।
कार्यशाला के प्रथम दिन छात्रों का ओगूमेंटेड एवं वर्चुअल रियलिटी की बुनियादी जानकारी दी। वैज्ञानिकों ने बताया कि कैसे इसके द्वारा एक स्थान पर रहकर पूरे विश्व के किसी भी स्थान पर बिना जाए उसको कैसे महसूस किया जा सकता है, साथ ही उसके उपयोग के बारे में विस्तार से बताया। ओगूमेंटेड एवं वर्चुअल रियलिटी के हेड सेट पहनने के लिए छात्रों में भारी उत्साह था। छात्रों ने हेड सेट के माध्यम से अपने स्थान पर बैठे-बैठे केदारनाथ, बदरीनाथ धाम व विश्व के अन्य स्थानों को महसूस किया।
ये भी पढ़ें : –
गांधी दर्शन प्रशिक्षणार्थी राजस्थान की सबसे बड़ी पूंजी : मुख्यमंत्री
कार्यशाला के शुभारम्भ पर कुलसचिव ने छात्रों को इंटरनेट ऑफ थिंग्स से दैनिक जीवन में होने वाले बदलाव के सम्बन्ध में बताया। संकायाध्यक्ष प्रो. विपुल शर्मा ने बताया कि इसके अनुप्रयोगों का प्रयोग कर कैसे काफी कामों को आसानी से किया जा सकता है। उन्होंने अवगत कराया कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स शब्द का सर्वप्रथम इस्तेमाल केविन एश्टन ने किया था।
मंच का संचालन कार्यशाला के समन्वयक प्रो. मयंक अग्रवाल ने कहा कि यह एक नई तरह की तकनीक है इसमें सभी गैजेट्स एक साथ जुड़कर एक दूसरे को डाटा का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे सभी उपकरणों का एकीकरण होता है। आज के समय में लगभग सभी सेवाओं में इंटरनेट ऑफ थिंग्स प्रयोग होता है जैसे – स्वास्थ्य, कृषि, यातायात मॉनीटरिंग, स्मार्ट घरों, बैंकिंग, निगरानी इत्यादि में।
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि इस प्रकार की कार्यशाला से टेक्नोलॉजी कोशन्ड का विकास होता है। इस अवसर पर डॉ. सुनील पंवार, डॉ. मुरली मनोहर तिवारी, नमित खण्डूजा, डॉ. तनुज गर्ग, संजीव लाम्भा, गजेंद्र सिंह रावत, दीपक पैन्युली, देवानन्द जोशी, विकास देशवाल, दीपक वर्मा, गौरव कुमार, मयंक पोखरियाल, अनिरुद्ध यादव, धनपाल सिंह आदि उपस्थित रहे।