Varanasi: साल 1990 में कारसेवा के दौरान अयोध्या (Ayodhya) में खूनी गोली कांड के दौरान बलिदान हुए कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा का गुरूवार को बनारस के कैंट रेलवे स्टेशन पर स्वागत किया गया। बहन पूर्णिमा कोलकाता से अयोध्या जा रही थीं।
कौन थे कोठारी बंधू
30 अक्टूबर 1990 को बाबरी मस्जिद के गुंबद पर कोठारी बंधुओं (Kothari Brothers) ने भगवा झंडा फहराया था। इसके बाद पुलिस फायरिंग में दोनों भाइयों की जान चली गई थी।
कोलकाता के बड़ा बाजार निवासी रामकुमार कोठारी (23 वर्ष) और शरद कोठारी (20 वर्ष) सगे भाई थे। दोनों भाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में नियमित तौर पर जाते थे। विश्व हिंदू परिषद के आव्हान पर अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए हो रही कारसेवा में हिस्सा लेने अयोध्या पहुंचे थे।
“अयोध्या के चश्मदीद” पुस्तक के मुताबिक राम और शरद कोठारी ने 22 अक्टूबर की रात कोलकाता से ट्रेन पकड़ी थी। लोगों को अयोध्या जाने से रोकने के लिए प्रशासन ने ट्रेन और बस सेवाएं बंद कर दी थी। दोनों भाईयों ने करीब 200 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर 30 अक्टूबर की सुबह अयोध्या पहुंच गए।
किताब के मुताबिक राम और शरद कोठारी 30 अक्टूबर को अयोध्या के विवादित परिसर में पहुंचने वाले पहले लोगों में से थे। अयोध्या में कर्फ्यू लगा था। यूपी पीएसी के करीब 30 हजार जवान तैनात थे। लेकिन कारसेवकों का जत्था अशोक सिंघल, उमा भारती और विनय कटियार जैसे नेताओं की अगुआई में विवादित परिसर की ओर बढ़ता चला जा रहा था। 30 अक्टूबर तक अयोध्या में लाखों कारसेवक इकट्ठा हो चुके थे।
कारसेवकों के जत्थे ने विवादित परिसर के पास की पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ दी। करीब 5 हजार कारसेवक विवादित परिसर के अंदर घुस गए। इसी बीच शरद कोठारी पुलिस को चकमा देता हुआ बाबरी मस्जिद की गुबंद पर चढ़ गया। उसके पीछे-पीछे रामकुमार कोठारी भी गुबंद पर पहुंच गया। दोनों भाइयों ने बाबरी मस्जिद की गुबंद पर भगवा लहरा दिया।
पुलिस फायरिंग में मारे गए कोठारी बंधु
इसके बाद भी दोनों भाई अयोध्या में हो रहे कारसेवा में लगे रहे। 30 अक्टूबर को बाबरी मस्जिद की गुबंद पर भगवा लहराने के बाद 2 नवंबर को दोनों भाई विनय कटियार के नेतृत्व में हनुमानगढ़ी जा रहे थे। इसी बीच पुलिस ने फायरिंग कर दी। दोनों भाई पुलिस की फायरिंग से बचने के लिए लाल कोठी वाली गली के एक घर में छिप गए। थोड़ी देर बाद जब वो घर से बाहर आए तो पुलिस वालों ने गोली मार दी। दोनों भाईयों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
दिसबंर में ही होनी थी बहन की शादी
राम कुमार और शरद कोठारी की बहन की पूर्णिमा कोठारी की दिसंबर के दूसरे हफ्ते में शादी होनी थी। रामकुमार और शरद कोठारी ने अपने पिता हीरालाल कोठारी से कारसेवा में जाने की इजाजत मांगी तो उन्होंने मना कर दिया। बहुत कहने पर हीरालाल ने उन्हें अयोध्या से तुरंत लौट आने की बात पर जाने की रजामंदी दी थी।