अयोध्या। एससी-एसटी एक्ट की विशेष न्यायाधीश शिवानी जायसवाल की अदालत ने 23 साल पुराने रिश्वत प्रकरण में रिटायर्ड लेखपाल राधेश्याम तिवारी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया है। फैसले के साथ ही लम्बे समय से मानसिक, सामाजिक व आर्थिक पीड़ा झेल रहे राधेश्याम तिवारी को राहत मिली है। फैसले के बाद क्षेत्र में न्याय की जीत को लेकर प्रसन्नता जाहिर की गई।

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यह मामला वर्ष 2002 का है, जब बीकापुर तहसील क्षेत्र के अमावा गांव के कुछ लोगों ने आरोप लगाया था कि भूमि आवंटन के एवज में लेखपाल राधेश्याम तिवारी ने रिश्वत मांगी थी। शिकायतकर्ताओं ने 1 अक्टूबर 2002 को बीकापुर एसडीएम के समक्ष बयान देकर बताया था कि ₹31,000 की राशि लेखपाल को दी भी जा चुकी थी, लेकिन फिर भी भूमि आवंटन नहीं किया गया और तिवारी ने स्थानांतरण करा लिया। आरोप था कि पैसे मांगने पर शिकायतकर्ताओं को अपमानित भी किया गया। सभी शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति से संबंधित बताए गए थे।
शिकायत की जांच तहसीलदार बीकापुर को सौंपी गई, जिन्होंने अपनी जांच में लेखपाल को दोषी माना। इसके बाद राधेश्याम तिवारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। इस मामले में उन्हें कुछ समय के लिए जेल भी जाना पड़ा था।
मामले की पैरवी अधिवक्ता राम यज्ञ तिवारी ने की। उनका तर्क था कि उनके मुवक्किल को साजिशन फंसाया गया और पूरे मुकदमे में अभियोजन पक्ष पुख्ता साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सका। न्यायालय ने भी इसी आधार पर राधेश्याम तिवारी को दोषमुक्त कर दिया।
हैरिंग्टनगंज ब्लॉक के आदिलपुर गांव निवासी राधेश्याम तिवारी लंबे समय तक लेखपाल के पद पर कार्यरत रहे और लगभग पांच साल पहले राजस्व निरीक्षक पद से रिटायर हुए। पूर्व प्रधान व समाजसेवी घनश्याम त्रिपाठी के भाई राधेश्याम तिवारी ने कोर्ट के प्रति आभार जताया। फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रभाकर पांडेय, उमा शंकर शुक्ल, बृजनंदन तिवारी, भोला सिंह, संतोष सिंह, बीरेंद्र दूबे, बलराम तिवारी, रामसुंदर सरोज, राकेश यादव, चंद्रेश सिंह समेत सैकड़ों लोगों ने कहा कि यह न्याय की जीत है और निर्दोष व्यक्ति को आखिरकार न्याय मिला।


