New Delhi: चिंतक-विचारक गोविंदाचार्य ने मदन दास (madan das) के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है। गोविंदाचार्य (govindacharya) ने कहा कि अपने मदन दास जी नहीं रहे। मदन जी का चला जाना मेरे लिए तो अपूरणीय क्षति है। शब्दों को जीना उन्होंने सिखाया। मित्र थे वे। 50 साल से अधिक का साथ रहा है। बहुत सी यादें घुमड़ रही है। शब्द मन के भाव को व्यक्त करने में असमर्थ है। प्रभु उनकी आत्मा को सद्गति दे। यह परमेश्वर से प्रार्थना है और उनके खड़े किये बड़े परिवार को इस प्रचंड आघात को सहने का सामर्थ्य दें।
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