मुख्य सचिव को लिखा पत्र
रांची। राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री और पर्यावरणविद सरयू राय ने सोमवार को मुख्य सचिव डी.के. तिवारी को पत्र लिखकर एनएच-33 के किनारे पेड़ लगाने का सुझाव दिया है।
मंत्री सरयू राय ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में बताया कि प्रत्येक वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में पूरे देश में वन महोत्सव का आयोजन होता है। इसकी शुरूआत 1950 में तत्कालीन केन्द्रीय कृषि मंत्री कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी ने किया था। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी झारखंड में जुलाई माह के आरंभ से ही वन महोत्सव का आयोजन राज्य भर में किया जा रहा है। 22 जुलाई 2019 को निर्माणाधीन विधानसभा परिसर में भी इसका आयोजन हो रहा है।
उन्होंने बताया कि रांची से बहरागोड़ा भाया जमशेदपुर के बीच की सड़क एनएच-33 के दोनों किनारों पर पहले वृक्षों की सघन कतार हुआ करती थी। सड़क को चौड़ा करने के लिये इन्हें काट दिया गया। रांची से जमशेदपुर आने-जाने वालों के लिये वृक्ष विहीन एनएच-33 सूना-सूना सा लगती है। पथ चौड़ीकरण का सीमांकन हो जाने के बाद सड़क किनारे के वृक्षों की कटाई जिस समय शुरू हुई थी उसी समय उन्होंने सुझाव दिया था कि निर्माणाधीन 4 लेन सड़क के किनारे पुनः वृक्षों की सघन कतार खड़ा करने का काम अभी से किया जाय। यह दायित्व वन एवं पर्यावरण विभाग को सौंपा जाय। विडम्बना है कि मेरे सुझाव पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उस समय यदि एनएच-33 के किनारो पर वृक्षारोपण आरंभ हो गया होता तो ये वृक्ष अबतक काफी बडा हो गये होते।
वन महोत्सव के अवसर पर मैं पुनः यह सुझाव कि इस वर्ष आयोजित हो रहे वन महोत्सव कार्यक्रमों के दौरान एनएच-33 के दोनों किनारो पर वृक्षारोपण का कार्य आरंभ कर दिया जाय और इसमें रांची से बहरागोड़ा के बीच अवस्थित सभी वन प्रमंडलों को उनके सीमा क्षेत्र में सघन वृक्षारोपण अभियान चलाने और रोपे गये पौधों को बचाने का दायित्व सौंपा जाय। जिन प्रजातियों के वृक्षों की कटाई एनएच-33 चौड़ीकरण के दौरान जिन स्थलों पर हुई है वहां पर उनका रोपण किया जाना श्रेयस्कर होगा। इसके अतिरिक्त विविध रंगों वाले पुष्प वृक्षों का रोपण भी स्थान-स्थान पर हो तो इनके बड़ा होने और पुष्पित होने पर कालांतर में यात्रियों एवं स्थानीय लोगों के लिये नयनाभिराम नजारा दृष्टिगोचर होगा। ऐसा हुआ तो एनएच-33 का सूनापन दूर हो जायेगा और कुछ वर्षों में सड़क के दोनों किनारे वृक्षों की हरियाली से परिपूर्ण हो जायेंगे। इससे इस सड़क के किनारे के वृक्षों की कटाई से हुये नुकसान की भरपाई भी काफी हद तक हो जायेगी।
सर्वविदित है कि अत्यंत पुराने वृक्षों के ईद-गिर्द विभिन्न प्रकार की जैव प्रजातियों का स्वाभाविक संसार बन जाता है जो मनुष्य के लिये भी हितकारी होता है। एनएच-33 के किनारे के वृक्षों की कटाई से हो चुकी पारिस्थितिकी एवं जैव विविधता की क्षति की भरपाई करना पूरी तरह से तो संभव नहीं है परंतु अभी रोपे गये वृक्ष जब बड़ा हो जायेंगे तो इनके उपर भी समय संदर्भ में विभिन्न प्रजातियों के जीवों का विविधतापूर्ण समृद्ध संसार बस जायेगा। इस वर्ष के वन महोत्सव के कार्यक्रम के दौरान एनएच-33 के किनारे वृक्षारोपण आरंभ हो जाय तो यह वन महोत्सव की सार्थकता होगी। इस बारे में आवश्यक निर्देश वन एवं पर्यावरण विभाग को देंगे।