New Delhi: लोकसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पर लोकसभा में गुरुवार को चर्चा शुरू हो गई। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (amit shah) ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का विरोध जवाहर लाल नेहरू, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी किया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। दिल्ली की स्थापना 1911 में अंग्रेजों के शासन के द्वारा महरौली और दिल्ली दो तहसीलों को पंजाब प्रांत से अलग करके बनाया गया। फिर 1919 और 1935 में ब्रिटिश सरकार ने इसे चीफ कमिश्नर प्रॉमिस के तहत रखा।
श्री शाह ने कहा कि आजादी के बाद पट्टाभि सीतारमैया समिति ने दिल्ली को राज्य सरकार का दर्जा देने की सिफारिश की। हालांकि ये सिफारिश जब सदन के सामने आई तो पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ बी.आर. आंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, राजाजी और राजेंद्र प्रसाद जैसे नेताओं ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ये उचित नहीं होगा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाए।
ये भी पढ़ें : –
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया एशिया के सबसे बड़े साहित्य उत्सव ‘उत्कर्ष’ और ‘उन्मेष’ का शुभारंभ
अमित शाह ने कहा कि मैं विपक्षी सांसदों से कहना चाहता हूं कि आपने वही पढ़ा है जो आपके अनुकूल लगता है। आपको निष्पक्षता से सारी बातें सदन के सामने रखनी चाहिए। केंद्र को दिल्ली के संबंध में कानून बनाने का पूरा अधिकार है।
अमित शाह ने कहा, यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट (suprim court) के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है।
शाह ने कहा कि केंद्र में कभी बीजेपी की सरकार रही, तो दिल्ली राज्य में कांग्रेस की रही। केंद्र में कभी कांग्रेस की रही तो दिल्ली राज्य में बीजेपी की सरकार रही। तब कभी झगड़ा नहीं हुआ था। बीजेपी ने कांग्रेस के साथ झगड़ा नहीं किया। कांग्रेस ने बीजेपी के साथ कोई झगड़ा नहीं किया।
शाह ने कहा कि लेकिन साल 2015 में दिल्ली में एक ऐसी पार्टी की सरकार आई जिसका मकसद सिर्फ लड़ना है, सेवा करना नहीं। समस्या ट्रांसफर पोस्टिंग करने का अधिकार हासिल करना नहीं, बल्कि अपने बंगले बनाने जैसे भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए सतर्कता विभाग पर कब्जा करना है।