वाराणसी। सावन के शिवरात्रि पर बुधवार अलसुबह से ही श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में जलाभिषेक और दर्शन पूजन के लिए शिवभक्तों और कांवड़ियों का सैलाब उमड़ रहा है। भोर दरबार में मंगलाआरती के बाद मंदिर का पट खुलते ही दर्शन पूजन का अनवरत सिलसिला शुरू हो गया। बाबा विश्वनाथ दरबार से गंगा तट तक बोल बम और हर-हर महादेव के उदघोष से पूरा क्षेत्र गुंजायमान है। कांवड़ियों से मंदिर परिक्षेत्र का हर कोना केसरियामय दिख रहा है। बाबा का जलाभिषेक करने के लिए कांवड़ियों का जत्था लगातार शहर में उमड़ रहा है।
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उधर, प्रदेश सरकार के निर्देश पर सावन मास के शिवरात्रि पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्ण शिखर के साथ शिवभक्तों और कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। हेलीकॉप्टर से पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और जिलाधिकारी सतेंद्र कुमार ने पुष्पवर्षा की।
शिवरात्रि में बाबा के दरबार में उमड़ रही भीड़ को देख गिरजाघर चौराहे से लेकर गोदौलिया और गंगा घाट से लेकर बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तक यातायात प्रतिबंधित किया गया है। कांवड़ियों के डीजे लगे व झांकी सजे ट्रक, ट्रैक्टर व बड़े वाहन लक्सा, कमच्छा, भेलूपुरा, विनायका और रथयात्रा आदि जगहों पर पार्क करा दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि सनातन पंचांग में हर साल में 12 शिवरात्रि होती हैं लेकिन इनमें से दो शिवरात्रि काे खास महत्व दिया जाता है। इनमें सबसे प्रमुख फाल्गुन मास की शिवरात्रि मानी जाती है, जिसे महाशिवरात्रि भी कहा जाता है। वहीं, दूसरी महत्वपूर्ण शिवरात्रि सावन की मानी गयी है। ज्योतिषविद रविन्द्र तिवारी के अनुसार सावन मास की शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सावन की शिवरात्रि को शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खास बात यह है कि मास शिवरात्रि पर इस बार 24 साल बाद गजकेसरी, मालव्य, नवपंचम, बुधादित्य योग बन रहे हैं। इससे पहले यह दुर्लभ महायोग 2001 में बना था। इस दुर्लभ योग में शिव-पार्वती की पूजा करने वाले भक्तों पर भोलेनाथ की कृपा बरसेगी। परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ेगी।