सहरसा। जिले के अगवानपुर स्थित मंडन भारती कृषि महाविद्यालय के सौजन्य से सोमवार को जल कुंभी से खाद निर्माण एवं अन्य लाभदायक उत्पाद निर्माण संबंधित प्रशिक्षण सत्र सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विधायक महिषी गुंजेश्वर साह ने संबोधित कर कहा की इस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति के फलस्वरूप जलकुंभी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जिसके फलस्वरूप परम्परागत कृषि फसलों का उत्पादन प्रभावित होता रहा है।तथापि जलकुंभी का विवेकपूर्ण उपयोग सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।उन्होंने कहा की कृषि फसलों के उत्पादन के वृद्धि हेतु वर्तमान में प्रयुक्त खाद न केवल उर्वरा शक्ति को प्रभावित करती है,बल्कि खाद में विद्यमान तत्वों के कारण स्वास्थ्य भी दुष्प्रभावित होता है।
यह भी पढ़े : मुख्यमंत्री ने एलएन मिश्रा संस्थान में स्टार्टअप ब्लॉक का किया शिलान्यास, करीब 13 करोड़ रुपये होंगे खर्च
अत: कृषि फसलों के उत्पादन में वृद्धि हेतु अन्य विकल्पों पर भी गहन विचार आवश्यक है। जलकुंभी से खाद बनाने की प्रक्रिया इस दिशा में एक सराहनीय कदम है। इसी बिंदु पर विचार विमर्श हेतु प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया है। विधायक ने कहा की राज्य सरकार द्वारा क्षेत्र के विकास/बाढ़ से मुक्ति हेतु लगातार ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
कृषि महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो डॉ अरुणिमा कुमारी ने अपने संबोधन में जागरूकता कार्यक्रम के उद्देश्यों के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा कक्थ् जलकुंभी,जिसे सामान्यतः अभिशाप के रूप में समझा जाता है तथा विवेकपूर्ण उपयोग लाभप्रद भी होता है।सको Decompost करके हानिरहित खाद में परिवर्तित किया जा सकता है,जो परम्परागत रासायिक खाद के बदले एक अच्छा विकल्प हो सकता है,इसके अतिरिक्त जानकुंभी से अन्य लाभप्रद उत्पाद का निर्माण संभव है।
जिला कृषि पदाधिकारी श्री संजय कुमार ने जलकुंभी के लाभप्रद उपयोग के बारे में जानकारी देते हुए,इसके व्यापक प्रचार प्रसार की अपील की। जागरूकता सह प्रशिक्षण सत्र का शुभारंभ विधायक,जिलाधिकारी, प्राचार्या कृषि महाविद्यालय ,जिला कृषि पदाधिकारी,उप निदेशक जन संपर्क एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।