लखनऊ। प्रदेश में बेहद कम बारिश होने से उतपन्न हो रही परिस्थितियों से निपटने के लिए सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को समीक्षा बैठक कर कहा कि आगामी एक सप्ताह हमारे लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी पेयजल का अभाव न हो। विंध्य और बुंदेलखंड में पेयजल की सुचारु आपूर्ति बनी रहे। वन विभाग वन्य जीवों के लिए तथा पशुपालन विभाग पशुओं के पेयजल की व्यवस्था बेहतर बनाये रखे। बरसात पर निर्भर जलाशयों में जल की उपलब्धता के लिए विशेष प्रयास किए जाए।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून के प्रभाव से इस वर्ष 13 जुलाई तक मात्र 76.6 मिलीमीटर वर्षा हुई है, जो कि सामान्य वर्षा 199.7 मिलीमीटर से लगभग 62 फीसदी कम है। इस बीच एकमात्र आगरा ऐसा जिला रहा जहां सामान्य वर्षा हुई। ललितपुर, फिरोजाबाद, वाराणसी और हापुड़ में सामान्य (80 फीसदी से 120 प्रतिशत) और खीरी, देवरिया, एटा और बिजनौर में सामान्य से कम (60-80%) वर्षा हुई है। 19 जिले ऐसे हैं जहां अब तक सामान्य से 40% से 60% तक ही वर्षा दर्ज की गई है। फसलों की स्थिति को देखते हुए हमें सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आमतौर पर 15 जून तक बरसात का मौसम प्रारंभ हो जाता रहा है, जो कि 15 सितंबर तक जारी रहता है। खेती-किसानी की समृद्धि के लिए यह प्राकृतिक वर्षा अमृत है। इस बार मॉनसून में देरी है। हालांकि प्राकृतिक वर्षा जल से सिंचाई के साथ-साथ सरकार द्वारा नहरों, नलकूपों के विस्तार से सिंचाई सुविधा को बेहतर बनाया गया है। ताजा स्थिति के अनुसार सभी प्रमुख नदियों, नहरों और जलाशयों में पर्याप्त जल है। यह संतोषप्रद स्थिति है।
कम वर्षा के कारण खरीफ फसलों की बोआई का कार्य प्रभावित हुआ है। खरीफ अभियान 2022-23 के अंतर्गत 13 जुलाई की मौजूदा स्थिति के अनुसार प्रदेश में 96.03 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के सापेक्ष 42.41 लाख हेक्टेयर की बोआई हो सकी है, जो कि लक्ष्य का मात्र 44.16 प्रतिशत ही है। इसमें 45 प्रतिशत हिस्सा अकेले धान की बोआई का है। गत वर्ष इसी तिथि तक 53.46 लाख हेक्टेयर भूमि पर बोआई हो चुकी थी।
मौसम वैज्ञानिकों के आंकलन के अनुसार आगामी 18 जुलाई से अच्छी वर्षा की संभावना है। विलंब से बोआई उपज को प्रभावित करती है। किंतु हमें वैकल्पिक प्रबंध के संबंध में तैयार रहना होगा।
सभी परिस्थितियों के लिए हमारी कार्ययोजना तैयार रहनी चाहिए। कृषि, सिंचाई, राहत, राजस्व आदि सम्बंधित विभाग अलर्ट मोड में रहें। प्रत्येक जिले में कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि वैज्ञानिकों के माध्यम से किसानों से सतत संवाद बनाये रखें। उन्हें सही जानकारी उपलब्ध हो।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बांदा, चंदौली, हमीरपुर, देवरिया, जालौन जिलों के साथ साथ बलिया, बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, संतकबीरनगर और श्रावस्ती जैसे जिलों पर विशेष ध्यान दिया जाना अपेक्षित है।