रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी के करीब ऐतिहासिक एवं पुरातत्विक नगरी आरंग में फिर एक पुरातात्विक महत्व की प्रतिमा खुदाई के दौरान मिली है। स्थानीय मछली चौक में प्रधानमंत्री आवास के लिए तैयार हो रहे अरुण जलक्षत्री के घर के कालम गढ्ढा खुदाई के समय आज एक देवी की प्रतिमा मिली है, जो लगभग तीन फीट की है।
प्रतिमा सफेद चिकने पत्थर से निर्मित है। मूर्ति मिलने की खबर मिलते ही उसे देखने लोगों की भीड़ मछली चौक में पहुंचने लगी है। मुहल्लेवासियों ने बताया कि चौक में स्थित राज राजेश्वर नाथ महादेव की मूर्ति भी इसी स्थान के आसपास मिली थी।
आरंग नगर का इतिहास द्वापर युगीन महादानी राजा मोरध्वज से प्रारंभ होता है | ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण और नरअवतारी आर्य श्री रजा मोरध्वज की दानशीलता की परीक्षा लेने पहुचे। अपने आज्ञाकारी सुपुत्र ताम्रध्वज के शरीर को पराक्रमी सम्राट मोरध्वज और उनकी रानी ने आरा से चीरकर अपनी दानशीलता का परिचय देकर कृष्ण और अर्जुन को हतप्रभ कर दिया था। द्वापर युग में आरा से अपने सुपुत्र के अंग का विच्छेदन करने के कारण इस नगर का नाम आरंग पड़ा। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 36 कि.मी. दूर स्थित यह नगर अपने गर्भ में अनेक ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक अवशेषों को छुपाये हुये है।
ग्रंथों में वर्णित मांडल देव (भाड़देव) मंदिर, 12-13वीं शताब्दी में निर्मित जैन तीर्थकारों व अन्य जैन मूर्तियां, झनझना महादेव मंदिर, शामियाँ माता मंदिर, बागेश्वर मंदिर, महामाया मंदिर, छिन्न देवी, चंडी देवी, बरगुड़ी पास में स्थित बौद्ध मूर्तियों से अंकित प्राचीन चबूतरा, राधाकृष्ण मंदिर, पञ्च महादेव मंदिर, अनेक शिवलिंग यहां हैं | किवदंती है कि काशी में जितने शिवलिंग हैं, उनमे से एक कम आरंग में है | सामान्य खुदाई में प्राप्त ताम्रपत्र, सिक्के, शिलालेख, भग्नावशेष मूर्तियाँ, इस नगर को पुरातात्विक, ऐतिहसिक व धर्म निरपेक्ष नगरी का दर्जा प्रदान करते हैं |