New Delhi: जर्नल साइंस एडवांसेज में भारत में कोरोना महामारी के दौरान हुई मौतों को लेकर छपी रिपोर्ट को केन्द्र सरकार ने सिरे से खारिज करते हुए इसे भ्रामक बताया है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो, यह अनुमानों के आधार पर कोरोना से अत्यधिक मृत्यु दर को उजागर करने वाली रिपोर्ट खामियों से भरी और असंगत तथा अस्पष्ट है।
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सरकार का कहना है कि रिपोर्ट में 2020 में 11.9 लाख मौत बताई गई जबकि वास्तविक आंकड़े इससे काफी कम हैं। अध्ययन के निष्कर्षों और स्थापित कोरोना मृत्यु दर पैटर्न के बीच विसंगतियां इसकी विश्वसनीयता को और कमजोर करती हैं।
यह अध्ययन भारत की मजबूत नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) को स्वीकार करने में असफल रहा है, जिसने 2020 में मृत्यु पंजीकरण में पर्याप्त वृद्धि (99 प्रतिशत से अधिक) दर्ज की, जो केवल महामारी के लिए जिम्मेदार नहीं है।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने अपने एक बयान में कहा – कोरोना महामारी में 2020 में अत्यधिक मृत्यु दर को दर्शाते हुए अकादमिक जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित एक पेपर के निष्कर्ष अस्थिर और अस्वीकार्य अनुमानों पर आधारित हैं।
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जबकि लेखक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 एनएफएचएस-5 के विश्लेषण की मानक पद्धति का पालन करने का दावा करता है, लेकिन उनकी पद्धति में गंभीर खामियां हैं। सबसे महत्वपूर्ण गलती यह है कि लेखकों ने जनवरी और अप्रैल 2021 के बीच एनएफएचएस सर्वेक्षण में शामिल घरों का एक सैंपल लिया है, 2020 में इन घरों में मृत्यु दर की तुलना 2019 से की है।
इसके परिणामों को पूरे देश के लिए लागू कर दिया है। एनएफएचएस नमूना केवल तभी देश का प्रतिनिधि होता है जब इसे समग्र रूप से माना जाता है। इस विश्लेषण में शामिल 14 राज्यों के 23 प्रतिशत परिवारों को देश का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता। यह रिपोर्ट पूर्वाग्रहों से संबंधित है।