New Delhi : कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) ने समाचार पत्र में छपे एक लेख के संबंध में कहा है कि लेख में मंत्रालय की टिप्पणियों के बिना निधियों के वापस करने के पहलू पर प्रकाश डाला गया है। साथ ही इसमें सरकार की उपलब्धियों को उजागर नहीं किया गया है। बता दें कि एक एक समाचार पत्र में ‘कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) ने पिछले पांच वर्षों में अपने बजट का एक लाख करोड़ रुपये वापस कर दिया’ शीर्षक से लेख छपा था।
मंत्रालय ने साफ किया है कि सरकार ने किसानों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में उपाय किये हैं। डीएआरई सहित कृषि और सहकारिता विभाग के लिए बजट आवंटन में कई गुना वृद्धि हुई है। यह वर्ष 2013-14 में 27,662.67 करोड़ रुपये था और वर्ष 2023-24 में 1,25,035.79 करोड़ रुपये हो गया। तीन प्रमुख केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं हैं, जो कृषि और किसान कल्याण विभाग के बजट का लगभग 80 से 85 प्रतिशत हैं। पीएम-किसान को 2019 में लॉन्च किया गया था और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से 30.11.2023 तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को अब तक 2.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की जा चुकी हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) वर्ष 2016 में दर्ज की गयी थी और कार्यान्वयन के पिछले सात वर्षों में 49.44 करोड़ किसानों के आवेदन नामांकित हुए और 14.06 करोड़ से अधिक किसानों को 1,46,664 करोड़ रुपये से अधिक के दावे मिले हैं। कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण को वर्ष 2013-14 के 7.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2022-23 में 21.55 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से रियायती संस्थागत ऋण का लाभ अब पशुपालन और मत्स्य पालक किसानों तक भी बढ़ा दिया गया है।
उपर्युक्त तीन प्रमुख केंद्रीय क्षेत्र की स्कीमें सभी पात्र किसानों की पूर्णता के उद्देश्य से पात्रता आधारित हैं। इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर क्षेत्र में भूमि जोत पद्धति समुदाय आधारित है और पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में कृषि योग्य भूमि का प्रतिशत कम है, इसलिए पूर्वोत्तर राज्यों के लिए इन योजनाओं पर खर्च निर्धारित 10 प्रतिशत से कम है। शेष निधियां अन्य स्कीमों/विभागों के उपयोग हेतु संचित निधि के लिए उपलब्ध करायी जाती हैं। विभाग राज्य सरकारों, किसानों के प्रतिनिधियों और कार्यान्वयन एजेंसियों जैसे हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद निधियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र और केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों के लिए बजट अनुमान तैयार करता है। वर्ष के दौरान, वास्तविक व्यय, राज्य सरकारों के पास खर्च नहीं किये गये शेष, निधियों की आवश्यकता को ध्यान में रखने के बाद इसे संशोधित अनुमान स्तर पर बढ़ाया/घटाया जाता है। पिछले चार वर्षों के दौरान संशोधित अनुमान स्तर पर इस कारण अनिवार्य रूप से समर्पण पर कुल 64900.12 करोड़ रुपये की बचत हुई। इसके अतिरिक्त पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए समग्र आवंटन के 10 प्रतिशत के अनिवार्य आवंटन के मानदंड के कारण लगभग 40 हजार करोड़ रुपये की राशि समर्पित कर दी गयी है।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) और कृषिओन्नति योजना (केवाई) (केंद्र प्रायोजित योजनाएं) राज्य सरकारों द्वारा लागू की जाती हैं। राज्य सरकार द्वारा फील्ड स्तर पर निधियों पर खर्च की धीमी गति तथा समय पर निधियां जारी करने की नयी प्रक्रिया के कारण स्कीम के अंतर्गत उपयोगिता कम थी। राज्य सरकारों को राज्य के हिस्से का अंशदान करके निधियों को समय पर जारी करना होगा और बाद की किस्तों को जारी करने के लिए खर्च करना होगा। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने खर्च करनेवाले राज्यों को पर्याप्त धन उपलब्ध कराया है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि विभाग की सभी योजनाएं लागू की जायें और धन की कमी के कारण प्रभावित नहीं हों।