Raipur। प्रदेश के सुपेबेड़ा में लंबे समय से किडनी पीड़ित मरीज आ रहे हैं। इनके इलाज की सुविधा के लिए गरियाबंद में किडनी यूनिट आरंभ की गई है लेकिन इस समस्या के स्थाई निदान पर भी काम करने की जरूरत है। इसके लिए बीमारियों के कारण जानने संबंधी जो भी रिसर्च किया जा सकता है वह किया जाए। इसके साथ ही मरीजों के पर्याप्त इलाज की सुविधा भी हो ताकि सुपेबेड़ा के लोगों को भविष्य में किडनी संबंधी समस्याओं से पूरी तरह मुक्त किया जा सके। साथ ही पंखाजूर जैसे क्षेत्रों में जहां अधिक मरीज आ रहे हैं, वहां डायलिसिस सेंटर की स्थापना की जाए। यह बात मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (Chief Minister Vishnu Dev Sai) ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में कही।
4 घंटे से अधिक समय तक चली इस समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग की आगामी योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की तथा राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की जानकारी ली एवं उनके बेहतर क्रियान्वयन के लिए निर्देश भी दिए। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रदेश में स्वास्थ्य संबंधी अधोसंरचना एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 6 महीने में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ है। पिछली सरकार में जो काम अधूरे रह गए थे उन्हें शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने आगामी मानसून को देखते हुए मौसमी बीमारियों की आशंका से निपटने के लिए तैयारी करने के निर्देश दिए। एंटी वेनम आदि की उपलब्धता भी रखने की बात कही।
मुख्यमंत्री ने रिस्पांस टाइम के संबंध में भी अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 108, 102 और शव वाहन जैसी गाड़ियां अच्छी स्थिति में रहे। 108 जैसी गाड़ियों की स्क्रीन में ड्राइवर को पता चल जाए कि उसे मरीज को कौन से निकटतम अस्पताल में ले जाना है। सबसे निकट के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर को भी मैसेज के माध्यम से अलर्ट कर दिया जाए ताकि अस्पताल में इमरजेंसी रिस्पांस की तैयारी की जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संभाग मुख्यालय में कम से कम 2 एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली एंबुलेंस की व्यवस्था होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्थागत प्रसव को शत प्रतिशत करना सबसे अहम कार्य है। इसके लिए नियमित अंतराल पर एएनसी जांच करना सुनिश्चित करें। शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए अस्पताल में न्यू बार्न केयर यूनिटों को बढ़ाया जाए। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत अधिकतम संख्या में लोगों को लाभान्वित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि योजना के क्रियान्वयन में जो खामियां हैं उन्हें दूर करें। नियद नेल्लानार योजना के सभी हितग्राहियों का आयुष्मान कार्ड बन जाए, यह सुनिश्चित करें। इसके लिए आधार कार्ड बनाने इन क्षेत्रों में नियमित कैंप लगाया जाए।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री जन मन योजना के अंतर्गत हितग्राहियों को आयुष्मान कार्ड से लाभ दिया जा रहा है। 6 महीने में 1373 हितग्राहियों ने एक करोड़ 38 लाख रुपये के क्लेम किए हैं।
मुख्यमंत्री ने जन औषधि केंद्रों पर भी विशेष फोकस करने कहा। उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्र ऐसी जगह पर स्थापित किए जाएं जहां अधिकाधिक संख्या में लोग दवा लेने सुविधा से पहुंच सकें। मुख्यमंत्री ने टीबी, कुष्ठ और मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा भी की। उन्होंने कहा कि मलेरिया उन्मूलन के अभियान में काफी सफलता मिली है लेकिन बस्तर को मलेरिया मुक्त करने इसे और बेहतर करने की जरूरत है।
सिकल सेल के संबंध में मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्तर के रिसर्च सेंटर का प्रस्ताव केंद्र को भेजने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिकल सेल के मरीजों की नियमित रूप से काउंसलिंग हो और इनका बेहतर उपचार होता रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी अस्पतालों में जहां उपकरण तो है लेकिन आपरेटर नहीं है वहां ऑपरेटर की व्यवस्था की जाए। कीमोथेरेपी की सुविधा का विस्तार करें। डायलिसिस की सुविधा का लाभ ब्लॉक मुख्यालयों में भी आरंभ करें। मुख्यमंत्री ने मानसिक मरीजों के लिए भी नए अस्पताल आरंभ करने अधिकारियों को निर्देशित किया।
समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, पी. दयानंद, डॉ. बसव राजू एस, स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव चंदन कुमार सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे।