कोलकाता। पश्चिम बंगाल की ऐतिहासिक पहचान रही दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो चुकी है।नए आंकड़ों के आधार पर देश में नवंबर में कोरोना वायरस की तीसरी लहर चरम पर पहुंच सकती है. ऐसी परिस्थिति में हर रोज कोरोना वायरस के 1.5 लाख तक मामले आ सकते हैं और नवंबर तक यह चरम पर होगा. उन्होंने कहा, तीसरी लहर दूसरी की तरह संक्रामक नहीं होगी, लेकिन यह पहली लहर के समान हो सकती है. यह अनुमानों पर आधारित होती हैं.
अक्टूबर महीने में पूरे राज्य में धूमधाम से शक्ति की आराधना होती है। कोरोना संकट के बावजूद इसकी तैयारियां जोरों पर हैं।
इसी बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है कि अक्टूबर महीने में कोरोना की तीसरी लहर का प्रसार शुरू हो जाएगा। इसे लेकर राज्य स्वास्थ्य विभाग चिंता में है। ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री भी हैं। उनके निर्देश पर एक दिन पहले ही राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी ने तीसरी लहर से बचाव के लिए सभी जिलाधिकारियों और प्रशासनिक प्रमुखों के साथ सचिवालय में वर्चुअल बैठक की थी।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया है कि इस बैठक में तीसरी लहर से निपटने के लिए सारी तैयारियां दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य भवन तीसरी लहर से पहले तैयारी के लिहाज से दो चीजों को प्राथमिकता दे रहा है। टीकाकरण में तेजी, कोरोना से संक्रमित बच्चों के इलाज के बुनियादी ढांचे पर जोर। स्वास्थ्य विभाग शहर के बाद पंचायत क्षेत्र में टीकाकरण दर बढ़ाने पर जोर दे रहा है। विशेषज्ञों की सलाह के बाद पीआईसीयू, एसएनसीयू, पीडियाट्रिक एचडीयू के इंफ्रास्ट्रक्चर को मेंटेन करने को कहा गया है। हल्के से मध्यम लक्षणों वाले नाबालिगों (3 महीने-12 साल) के लिए राज्य भर में 10 हजार बेड की पहचान की गई है।
राज्य के जिला स्तर तक के अस्पतालों में बिस्तर और सीसीयू सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है। अब तक 1550 सीसीयू बेड उपलब्ध कराए जा चुके हैं। 264 पीआईसीयू बेड और 260 एनआईसीयू बेड उपलब्ध कराए गए हैं। सीसीयू, पीआईसीयू, एनआईसीयू – कुल दो हजार 348 बेड उपलब्ध कराए गए हैं। पर्याप्त संख्या में डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपलब्ध कराए गए हैं। प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ भी हैं। मेडिकल कॉलेजों में प्रख्यात बाल रोग विशेषज्ञों और सामान्य चिकित्सकों की एक समिति बनाई गई है।
बच्चों के इलाज के लिए किस तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जाएगा इसकी सूची तैयार कर ली गई है। आशा और एएनएम स्टाफ को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थानों के टेली-परामर्श के माध्यम से प्राथमिक स्तर के चिकित्सा केंद्रों के साथ परामर्श की व्यवस्था की जा रही है। इस संबंध में एक दिन पहले ही राज्य के मुख्य सचिव हरि कृष्ण द्विवेदी ने सभी जिलाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर निर्देश दिया है।