DELHI : हरनौत के एक सब्जी विक्रेता के होनहार बेटे झंडू कुमार ने अपना ही नेशनल रिकार्ड तोड़कर यहां जारी खेलों इंडिया पैरा गेम्स (केआईपीजी) 2025 में स्वर्ण पदक जीता है। केआईपीजी के पहले संस्करण में रजत पदक जीतने वाले झंडू कुमार ने अपना खेल करियर हरनौत से ही शुरू किया था और एक रोचक लेकिन संघर्ष भरे सफर के बाद वह गांधीनगर स्थित साई एनसीई पहुंचे और फिर मशहूर पैरा कोच राजिंदर सिंह रहेलू की देखरेख में अपनी प्रतिभा की चमक दिखानी शुरू कर दी।
28 साल के झंडू कुमार के दोनों पैर जन्म से ही पोलियोग्रस्त हैं। उन्होंने रविवार को जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम परिसर में स्थित वेटलिफ्टिंग हाल में 72 किग्रा कटेगरी में 206 किग्रा वजन के साथ अपना ही नेशनल रिकार्ड तोड़ा। इससे पहले उन्होंने नोएडा में 17-18 मार्च को आयोजित पैरा नेशनल चैंपियनशिप में 205 किग्रा वजन के साथ हरियाणा के सुधीर कुमार का 192 किग्रा का नेशनल रिकार्ड तोड़ा था।
झंडू कुमार 2017 से पहली बार खेलों में आए। शुरुआत में शाटपुट और डिस्कस थ्रो करते थे। साथ ही वह पावरलिफ्टिंग भी करते थे। तब तक उनको पैरा पावरलिफ्टिंग के बारे में पता नहीं था। एफ-55 कटेगरी में उन्होंने शाटपुट और डिस्क्स थ्रो में कई इवेंट्स में हिस्सा लिया और सफलता भी अर्जित की लेकिन उनकी मंजिल कहीं और थी, लिहाजा किस्मत उन्हें उस ओर ले गई।
उन्होंने साई मीडिया से बातचीत में कहा कि जिला और राज्य स्तर पर शाटपुट और डिस्कस थ्रो में हिस्सा लिया और हर बार स्वर्ण पदक मिला। शुरुआत से उन्हें जिम का शौक था। पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स काम्पलेक्स में आयोजित राज्यस्तरीय चैंपियनशिप के दौरान किसी ने उन्हें पावरलिफ्टिंग में हाथ आजमाने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने पावरलिफ्टिंग में एबल बाडी आयोजनों में भी हिस्सा लिया।
खिलाड़ी ने कहा कि तब तक मुझे पैरा पावरलिफ्टिंग के बारे में पता नहीं था। फिर अपने बचपन के कोच गौतम सिंह (जो हरनौत में द राकस्टार जिम चलाते हैं) के कहने पर 2022 में ही कोलकाता में मैंने अपना पहला पैरा पावरलिफ्टिंग इवेंट खेला। वहां मैंने 65 किग्रा कटेगरी में 135 किग्रा वजन के साथ रजत पदक जीता था। उन्होंने कहा कि कोलकाता के बाद मैं किसी और चीज के बारे में सोचता ही नहीं था। इसी साल मैंने नई दिल्ली में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया लेकिन वहां मेरा एक भी लिफ्ट सही नहीं गया। यही वह इवेंट था, जिसमें रहेलू सर ने मुझे देखा था और कहा था कि मैं जल्द ही तुमको गांधीनगर बुलाऊंगा।
वह बताते हैं कि देश के लिए 2004 एथेंस पैरालंपिक में पैरा पावरलिफ्टिंग में कांस्य पदक जीतने वाले कोच रहेलू ने अपना वादा निभाया और 15 दिन के अंदर उन्हें गांधीनगर बुला लिया। पहली बार गांधीनगर पहुंचने पर हुए अनुभव पर झंडू कुमार ने कहा, “मुझे लगा कि यह अलग ही दुनिया है। कुछ दिन तक लगा कि मुझसे नहीं हो पाएगा लेकिन धीरे-धीरे मैंने इससे तालमेल बना लिया।”
इसके बाद उन्होंने दिसंबर 2023 में आयोजित पहले खेलो इंडिया पैरा गेम्स में 72 किग्रा वर्ग में 157 किग्रा वजन के साथ रजत पकद जीता। उन्होंने कहा कि पहले खेलो इंडिया पैरा गेम्स ने मुझे नई पहचान दी। मेरा मनोबल सातवें आसमान पर था। इसके बाद 2024 में जब दूसरा नेशनल (जेएलएन स्टेडियम) में खेला गया तो मैं 187 किग्रा के साथ स्वर्ण जीतने में सफल रहा। इस सफलता के बाद मैं पहली बार अपने गांव गया।”
28 साल के झंडू कुमार का सपना पैरालंपिक में देश के लिए पदक जीतना है। झंडू कहते हैं, “मुझे अभी विश्व चैंपियनशिप खेलना है और फिर पैरालंपिक में। मैं इसके लिए खूब मेहनत करूंगा। अभी कुछ दिनों के लिए परिवार के पास हरनौत जाऊंगा और फिर वापस गांधीनगर आकर मेहनत जारी रखूंगा।”
राजिंदर सिंह रहेलू ने झंडू की जमकर तारीफ की। रहेलू ने कहा, “बेहद अनुशासित, खूब मेहनत करता है और इसमें शानदार प्रतिभा है। मुझे बता था कि इस साल पैरा गेम्स में यह कुछ खास करेगा। इसने अपने पदक का रंग बदला है, जो उसकी लगन और मेहनत का फल है।”
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