गोरखपुर। दशकों तक बाढ़ की विभीषिका को झेलने के लिए अभिशप्त रहे गोरखपुर को बाढ़ बचाव के लिए संवेदनशील योगी सरकार की समयबद्ध कार्ययोजना का सकारात्मक परिणाम साल दर साल दिख रहा है। 2017 के बाद से लगातार हो रहे बाढ़ सुरक्षा के कार्यों से नदियों के तटबंध सुरक्षित होते गए और जिले में होने वाली व्यापक हानि में अभूतपूर्व कमी आई है। योगी सरकार में नदियों के तटबंधों को सुरक्षित करने का सिलसिला लगातार जारी है और इससे बड़े पैमाने पर गांवों को बाढ़ की त्रासदी से बचाने में कामयाबी मिली है। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए इस साल भी बाढ़ की दस्तक से काफी पहले ही गोरखपुर में 119 करोड़ रुपये से अधिक की बाढ़ बचाव परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। आगामी दिनों में इन कार्यों का लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों संभावित है।
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गोरखपुर में बाढ़ खंड, बाढ़ खंड-2 और ड्रेनेज खंड ने कुल मिलाकर बाढ़ सुरक्षा की 27 परियोजनाओं को पूर्ण कर लिया है। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता विकास सिंह के अनुसार ये परियोजनाएं राप्ती, रोहिन, घाघरा, गुर्रा, कुआनो नदियों के तटबंधों और इन तटबंधों के आसपास बसे गांवों को मानसून में बाढ़ की त्रासदी से बचाने की हैं। इन परियोजनाओं का लाभ जिले की सात विधानसभा क्षेत्रों गोरखपुर ग्रामीण, चौरीचौरा, खजनी, बांसगांव, सहजनवां, कैम्पियरगंज और चिल्लूपार की जनता को मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि बीते कुछ सालों से गोरखपुर में बाढ़ की स्थिति पर काफी नियंत्रण पा लिया गया है। जबकि एक लंबे समय तक बाढ़ की त्रासदी इसकी पहचान से जुड़ गई थी। 1998 की प्रलयंकारी बाढ़ तो आज भी लोगों को याद है। बाढ़ पर काबू पाने का सिलसिला तब शुरू हुआ जब 2017 में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। अपने संसदीय कार्यकाल से ही वह जिले में आने वाली बाढ़ से वाकिफ थे। लिहाजा मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कार्ययोजना बनवाकर जहां जरूरत हुई वहां नदियों की ड्रेजिंग कराई, नदियों की धारा को चैनलाइज कराया, बड़े पैमाने पर बंधों पर बोल्डर पिचिंग के काम कराए।