Begusarai: केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह (giriraj singh) ने कहा है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटर शेड विकास घटक भूमि प्रबंधन और प्रशासन की नई पहलों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए भूमि संसाधन विभाग का राष्ट्रीय मीडिया अभियान शुरू किया गया है।
अभियान के पहले चरण में आउटडोर मीडिया, सोशल मीडिया, बल्क एसएमएस और रेडियो जिंगल घटक शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के संबंध में आम जनता को जागरूक करने के लिए एक मीडिया योजना तैयार की गई, जिसे कल लॉन्च किया गया है। मीडिया अभियान में अतिरिक्त घटकों को व्यापक और लक्षित कवरेज के लिए बाद में जोड़ा जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस अभियान में राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण प्रणाली, डब्ल्यूडीसी – पीएमकेएसवाई और कैक्टस परियोजना को शामिल किया गया है। भूमि विनियमन के तहत भारत सरकार ने उप रजिस्ट्रार कार्यालयों के कंप्यूटरीकरण के लिए राज्य सरकारों को एक सौ प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 2016 में डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम शुरू किया गया है।
इस राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण प्रणाली के तहत राज्य-विशिष्ट अनुकूलन की सुविधा के साथ एक राष्ट्र एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इस प्रणाली की शुरूआत के साथ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में समय और धन की बचत होती है तथा पूरी प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो जाती है। भूमि संसाधन विभाग ने 2009 से वाटर शेड विकास कार्यक्रम लागू किया है।
जिसे 2015-16 में पीएमकेएसवाई योजना के साथ मिला दिया गया था। इसके तहत किए गए कार्यकलापों में अन्य बातों के साथ-साथ रिज क्षेत्र निरूपण, जल निकासी लाइन निरूपण, मृदा एवं नमी संरक्षण, वर्षा जल संचयन, नर्सरी लगाने, वनीकरण, बागवानी, चारागाह विकास, परिसंपत्ति हीन व्यक्तियों के लिए आजीविका आदि शामिल हैं।
ये भी पढ़ें : –राज्यपाल ने वर्षा जल संरक्षण प्रणाली के कार्यों का किया लोकार्पण
भूमि संसाधन विभाग लोगों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए वाटरशेड विकास कार्यकलापों के बारे में जागरूकता पैदा करेगा। विभाग, वर्षा सिंचित और अवक्रमित क्षेत्रों के विकास के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का वाटरशेड विकास घटक का कार्यान्वयन कर रहा है। 97 मिलियन हेक्टेयर में से करीब 29 मिलियन हेक्टेयर अवक्रमित भूमि को वाटरशेड परियोजनाओं के तहत कवर किया गया है, जो शायद विश्व स्तर पर सबसे बड़ा अभियान है।
कैक्टस परियोजना के संबंध में गिरिराज सिंह ने बताया कि नोपल्स कैक्टस एक प्रकार का शूलरहित पौधा है। जिसे फलने-फूलने के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है और यह वाटरशेड क्षेत्रों में रोपण के लिए बहुत उपयुक्त है। विभिन्न शोध अध्ययनों में पाया गया है कि कैक्टस का पौधा बायो गैस उत्पादन, बायो लेदर, जैव उर्वरक, चारा, औषधि एवं खाद्य सामग्री के लिए उपयोगी है।
गिरिराज सिंह ने बताया कि भूमि संसाधन विभाग ने हाल के वर्षों में नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए कई पहल की है। डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत, विभाग नागरिकों के लाभ के लिए भूमि अभिलेखों के कंप्यूटरीकरण और भूकर मानचित्रों के डिजिटलीकरण का प्रयास कर रहा है। आठ अगस्त तक राष्ट्रीय स्तर पर 94 प्रतिशत अधिकारों के अभिलेखों एवं रजिस्ट्री कार्यालयों का कंप्यूटरीकरण हो गया है।
देश में 76 प्रतिशत नक्शों का डिजिटलीकरण हुआ है। इसके अलावा, भूमि संसाधन विभाग सभी भू-खंडों को भू-आधार या विशिष्ट भू-खंड पहचान संख्या प्रदान कर रहा है। एक साल में करीब नौ करोड़ भू-खंडों को भू-आधार सौंपा गया है। पहले दस्तावेजों का रजिस्ट्रीकरण मैनुअली होता था। लेकिन अब यह ई-रजिस्ट्रीकरण के रूप में किया जा रहा है। इसने अर्थव्यवस्था को खोल दिया है और बड़े पैमाने पर पूंजी निर्माण की सुविधा प्रदान की है।