मुंबई : अनिल अंबानी का आज जन्मदिन है, वो अब 64 साल के हो गए हैं। अनिल अंबानी का जन्म 4 जून 1959 को हुआ है। आज की तारीख में अनिल अंबानी अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी के मुकाबले वित्तीय तौर पर काफी कमजोर हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि अनिल अंबानी कारोबार में इतने पिछड़ गए।
दरअसल, मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी को कारोबार विरासत में मिला है। आज दोनों भाई अपने पिता धीरूभाई अंबानी के कारोबार को अलग-अलग आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन पिछले करीब 15 साल में मुकेश अंबानी ने अपने हिस्से आए रिलायंस के कारोबार को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचा दिया है। जबकि अनिल अंबानी का बिजनेस संकट में है।
हालांकि, जब दोनों भाइयों के बीच बिजनेस का बंटवारा हुआ था, तब अनिल अंबानी की स्थिति मजबूत मानी जा रही थी। लेकिन गुजरते वक्त के साथ उनके कारोबार ने ढलान की राह पकड़ ली और आज उनकी कंपनियां कर्ज के बोझ तले दबी हैं. दूसरी तरफ मुकेश अंबानी का हर कारोबार चमक रहा। पिता धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद दोनों भाइयों के बीच कारोबार का बंटवारा हुआ था।
बात साल 2000 की है. रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी का 70 साल की उम्र में निधन हो गया। भारतीय कारोबारी जगत के लिए ये एक बड़ा झटका था।लेकिन धीरूभाई की मृत्यु के बाद जो हुआ, उसकी कल्पना शायद देश के उद्योग जगत ने नहीं की होगी। मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी को अपने पिता धीरूभाई अंबानी से विरासत में एक बड़ा कारोबारी साम्राज्य मिला। उम्मीद जताई जा रही थी कि पिता के निधन के बाद दोनों भाई मिलकर रिलायंस के कारोबारी विरासत को विस्तार करेंगे।लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
पिता धीरूभाई अंबानी को गुजरे अभी दो साल ही बीते थे और दोनों भाइयों के बीच कड़वाहट जगजाहिर हो गई। मुकेश और अनिल अंबानी के बीच अविश्वास की खाई इतनी चौड़ी हो गई कि मां कोकिलाबेन को दखल देना पड़ा। उन्होंने ही दोनों भाइयों के बीच कारोबार का बंटवारा किया।कोकिलाबेन ने मुकेश को ऑयल रिफाइनरीज और पेट्रोकेमिकल का कारोबार सौंप दिया, तो अनिल के हिस्से में टेलीकॉम, फाइनेंस और एनर्जी यूनिट्स आईं। इसके अलावा दोनों भाइयों ने एक-दूसरे से होड़ या प्रतिस्पर्धा नहीं करने के एक समझौते पर भी साइन किया। तय हुआ कि मुकेश टेलीकॉम कारोबार में पैर नहीं रखेंगे, जबकि अनिल ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल से दूर रहेंगे।
बंटवारे में अनिल अंबानी को वो सभी कारोबार मिले, जिसके लिए वो अड़े थे। लेकिन जिस टेलीकॉम के बिजनेस को मुकेश अंबानी ने अपने हाथों से सिंचकर तैयार किया था। वो उनके हाथ से निकल गया।लेकिन मुकेश उस वक्त खामोश रहे। कारोबार के बंटवारे के बाद शुरुआत में अनिल अंबानी के लिए स्थितियां अनुकूल रहीं। लेकिन समय आगे बढ़ा और उनके कारोबार में गिरावट का दौर शुरू हो गया।फिर 2008 की मंदी ने उन्हें तगड़ा झटका दिया। दूसरी तरफ मुकेश अंबानी के हिस्से आए कारोबार ने सफलता की राह पकड़ ली थी।
जानकारों मानना है कि अनिल पारिवारिक कारोबार के बंटवारे के फौरन बाद से ही पूंजी निगलने वाले प्रोजेक्ट में उतरने को उतारू थे। अनिल अंबानी ने हर कारोबारी फैसले महत्वाकांक्षा के फेर में पड़कर लिए गए थे। इसके अलावा वह कॉम्पिटीशन में बिना किसी रणनीति के कूद जाने में दिलचस्पी रखते रहे। अनिल अंबानी के लिए 2008 की वैश्विक मंदी ने भी बड़ा झटका दिया. एक अनुमान के मुताबिक इस मंदी में अनिल अंबानी को 31 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। इसके बाद अनिल अंबानी की वित्तीय स्थिति बिगड़ती चली गई।
दूसरी तरफ मुकेश अंबानी संभल-संभल कर हर एक कदम रख रहे थे। इसी बीच, दोनों भाइयों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं करने की शर्त 2010 में खत्म हो गई।इसे मुकेश अंबानी ने मौके के तौर पर लिया।उन्होंने तुरंत टेलीकॉम सेक्टर में उतरने का फैसला किया।इसकी तैयारी में अगले सात साल में उन्होंने 2.5 लाख करोड़ रुपये निवेश किए। फिर नई कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम के लिए हाई स्पीड 4G वायरलेस नेटवर्क तैयार किया।
मुकेश अंबानी के इस कदम ने एक ही झटके में गांव-गांव तक उनको पहचान दी।इस दौरान मुकेश अंबानी के ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल कारोबार ने भी हर दिन नया मुकाम हासिल किया।आज मुकेश अंबानी का कारोबार चमक रहा है, लेकिन अनिल अंबानी की कंपनियां कर्ज में डूबी हैं। मुकेश अंबानी रिटेल सेक्टर में अपने कारोबार का विस्तार कर रहे हैं। इसके अलावा कई और नए सेक्टर्स में भी वो उतरने की तैयारी में हैं।दूसरी तरफ अनिल अंबानी की कंपनियों पर बैंकों का भारी कर्ज है।