भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्य क्षेत्रीय परिषद सेतु का कार्य करती है। परिषद अनुभव साझा करने का सशक्त मंच है। परिषद ने संविधान की भावनाओं के अनुरूप कार्य किया है। परिषद की बैठकों की निरंतरता और उपयोगिता देखने को मिली है। राज्यों की कार्यशैली और वैचारिक स्तर पर कुछ भिन्नता हो सकती है, लेकिन उनके सपने भिन्न नहीं हो सकते।
मुख्यमंत्री चौहान केंद्रीय गृह मंत्री शाह की अध्यक्षता में शनिवार को उत्तराखंड के नरेंद्र नगर में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 24 वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री चौहान बैठक में भोपाल से वर्चुअली शामिल हुए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संघीय ढांचे को सशक्त किया गया है। परिषद इसमें महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है। इससे सहकारी संघवाद को बल मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने राज्यों को ताकतवर बनाने पर विशेष ध्यान दिया है। इसलिए नीति आयोग, मुख्यमंत्री परिषद और मध्य क्षेत्रीय परिषद जैसे संस्थागत उपाय किए गए हैं।
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उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में अनेक क्षेत्र में बेहतर कार्य हुआ है और प्रदेश कई योजनाओं के अमल में देश में प्रथम स्थान पर है। केन-बेतवा लिंक परियोजना, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लिए वरदान है। उन्होंने कहा कि नदी जोड़ो अभियान में मध्य प्रदेश में पहले नर्मदा नदी को क्षिप्रा से जोड़ा गया। इसके बाद कालीसिंध नदी को पार्वती नदी से जोड़ने की पहल की गई। मुख्यमंत्री कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के मार्गदर्शन में मध्य क्षेत्रीय परिषद के माध्यम से राज्यों का परस्पर सहयोग भी बढ़ा है और छोटे-मोटे मतभेद भुला कर विकास का रास्ता निकाला जाता है, जो राज्यों से होकर जाता है।
बताई गईं प्रदेश की उपलब्धियाँ
बताया गया कि मध्य प्रदेश पाँच किलोमीटर की दूरी के अंदर गाँवों में बैंक शाखाएँ खोलने के कार्य में आगे है। इस कार्य में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के 88 प्रतिशत की तुलना में 92 प्रतिशत उपलब्धि अर्जित कर चुका है। मध्यप्रदेश में तेजी से बैंकिंग सुविधाएँ बढ़ाई जा रही हैं और ग्रामीणों को बेहतर सुविधा दिलवाई जा रही है। बैठक में पोषण, आँगनवाड़ी केन्द्र, बैंकिंग सुविधाओं, स्वास्थ्य सुविधाओं और अन्य विषयों पर चर्चा हुई और राज्यों के प्रयासों की जानकारी दी गई।
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सहकारिता क्षेत्र की चर्चा के दौरान जानकारी दी गई कि परिषद के 4 राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में मध्य प्रदेश में सर्वाधिक सहकारी समितियाँ हैं। प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को गति मिली है। मध्य प्रदेश में 51 हजार 618 सहकारी समितियाँ कार्य कर रहीं है। इनके सदस्यों की संख्या एक करोड़ 23 लाख 97 हजार 471 है। सहकार से समृद्धि में मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले में परसवाड़ा समिति कार्यरत है। यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, जो सहकारी क्षेत्र में विश्व की बड़ी अनाज भंडारण योजनाओं में से एक है। दूसरे चरण में अन्य जिलों की प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को चिन्हित किया गया है। जन औषधि केंद्रों का संचालन भी पैक्स द्वारा किया जा रहा है। ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना में भी पैक्स को पात्र बनाया गया है, जो राष्ट्रीय जल जीवन मिशन अंतर्गत ग्रामीण नल-जल आपूर्ति योजना के संचालन और रखरखाव में भागीदारी के लिए आगे आई हैं। शैक्षिक सूचकांक में भी मध्य प्रदेश परिषद के चारों राज्यों में बेहतर स्थिति में है। केन्द्र सरकार द्वारा जारी परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स की दृष्टि से मध्यप्रदेश इन राज्यों में से सर्वाधिक अंक अर्जित करने वाला प्रदेश है।
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समन्वय के साथ समावेशी विकास के एजेंडे पर केन्द्रित बैठक
परिषद की बैठक में समन्वय के साथ समावेशी विकास के एजेंडे पर विषयवार चर्चा हुई। प्रमुख रूप से गाँवों में बैंक शाखाओं और डाक बैंकिंग सुविधाओं का आच्छादन, महिलाओं-बच्चों के कल्याण, कोदो-कुटकी सहित मोटे अनाजों के लिए समर्थन मूल्य, मंडी शुल्क और कृषक कल्याण शुल्क की समीक्षा, वन भूमि के व्यपवर्तन, लघु वनोपज आधारित प्रसंस्करण उद्योगों के लिए चिन्हित जिलों में बुनियादी ढांचे का विकास, पोषण अभियान, स्कूली विद्यार्थियों के ड्रॉप आउट रेट में कमी, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और सहकार से समृद्धि के अंतर्गत सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने पर चर्चा हुई।
प्रारंभ में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वागत उद्बोधन दिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिषद की काशी में होने वाली आगामी बैठक (25 वीं बैठक) के लिए सभी को औपचारिक आमंत्रण भी दिया। उल्लेखनीय है कि परिषद की 23 वीं बैठक की मेजबानी मध्य प्रदेश ने की थी, जो भोपाल में 22 अगस्त 2022 को सम्पन्न हुई थी। बैठक के अंत में उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव ने आभार व्यक्त किया।