Jharkhand : झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफ़ेसर डॉ. अमृत कुमार ने हैदराबाद स्थित मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में अपना विशेष व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा, आदिवासियत अपने आप में एक संचार प्रणाली है। निरंतर श्रवण एवं गहन श्रवण आदिवासी संचार के महत्वपूर्ण अवयव हैं। आज भले ही मोबाइल के माध्यम से सूचना त्वरित संचारित होती है लेकिन खबरों को विश्वसनीय बनाने में देशज संचार का अपना महत्व है।
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ग़ौरतलब है कि मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा मोबाइल पत्रकारिता पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। आयोजनकर्ता प्रो. मो. फ़रियाद ने डॉ. अमृत द्वारा आदिवासी संचार की दिशा में किए जा रहे अकादमिक प्रयास की सराहना की। तथा कहा कि इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है ।
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