लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल सेंटर बनाने के उद्देश्य से ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण नीति-2025’ लागू करने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को इस सम्बंध में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री ने आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा तैयार प्रस्तावित नीति पर चर्चा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे तेज़ी से उभरता क्षेत्र है। आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता है, जिसमें उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी लगभग 60 फीसदी है। अपार सम्भावनाओं वाले इस सेक्टर का लाभ उत्तर प्रदेश को उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में प्रदेश ने औद्योगिक विकास की दिशा में ऐतिहासिक प्रगति की है। अब समय है कि उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में भी वैश्विक मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाए। यह नीति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के संकल्प को मज़बूती देने के साथ-साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2014-15 में देश में जहाँ मात्र 1.9 लाख करोड़ रुपये के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद बनते थे, वहीं 2024-25 में यह आँकड़ा 11.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया। मोबाइल उत्पादन 18 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 5.45 लाख करोड़ रुपये और मोबाइल निर्यात 1,500 करोड़ रुपये से बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश से लगभग 37 हजार करोड़ रुपये का इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर निर्यात किया गया।
बैठक में यह भी बताया गया कि प्रस्तावित नीति का लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन करना और लगभग 10 लाख प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना है। इससे राज्य की 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में भी महत्त्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
नीति के प्रावधानों पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के साथ उत्तर प्रदेश की ओर से टॉप-अप इंसेंटिव दिया जाना चाहिए। इसी तरह पूँजीगत निवेश पर आकर्षक सब्सिडी, अतिरिक्त लाभ, स्टाम्प शुल्क एवं बिजली शुल्क में छूट, ब्याज अनुदान, लॉजिस्टिक्स और संचालन सहायता जैसे प्रावधान शामिल किये जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि निवेशक प्रदेश में रोजगार सृजित करता है और प्रदेश के युवाओं को वरीयता देता है तो उसे विशेष प्रोत्साहन दिया जाए।
उन्होंने कहा कि नीति के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित की जाए। निवेशकों को एकल विंडो प्रणाली के माध्यम से सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएँ और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। युवाओं के लिए रोजगार सृजन को उद्योगों की वास्तविक जरूरतों से जोड़ा जाए तथा कौशल विकास कार्यक्रम उसी के अनुरूप संचालित हों।
बैठक में यह भी बताया गया कि प्रस्तावित नीति अनुसंधान एवं विकास, नवाचार, कौशल विकास और स्टार्टअप पारिस्थितिकी को प्रोत्साहित करेगी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स को और सुदृढ़ किया जाएगा। आगामी जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक कॉरिडोर से राज्य को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में और मजबूत स्थिति प्राप्त होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक्स कम्पोनेंट विनिर्माण का वैश्विक केन्द्र बनाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। यह नीति न केवल विदेशी निवेश आकर्षित करेगी बल्कि आयात पर निर्भरता घटाकर घरेलू मूल्य संवर्धन और विदेशी मुद्रा की बचत में भी सहायक होगी।