रांची। झारखंड के गांवों में ही यदि रोजगार उपलब्ध कराया जाएं, तो पलायन को रोका जा सकता है। मशरूम उत्पादन और मधुमक्खी पालन ऐसे अवसर हैं, जिनसे ग्रामीण महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो सकती हैं। ये बातें राज्य की कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कही।
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मांडर के बिसाहा खटंगा पंचायत तथा बेड़ो के नेहालू पंचायत में झारखंड उद्यान निदेशालय की ओर से आयोजित उद्यानिकी प्रशिक्षण, कार्यशाला सह उपादान वितरण कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि जिस तरह हजारीबाग की महिलाएं मशरूम उत्पादन में मिसाल बनी हैं, उसी तरह मांडर क्षेत्र की महिलाएं भी मशरूम उत्पादन से लाखों रुपये कमा सकती हैं। इसके लिए महिलाओं को इच्छाशक्ति और निरंतर मेहनत की आवश्यकता है।
मंत्री ने कहा कि झारखंड की प्राकृतिक बनावट मधुमक्खी पालन के लिए बेहद अनुकूल है, इसलिए विभाग इसे बढ़ावा देने में जुटा है। उन्होंने अधिकारियों को मशरूम उत्पादन में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को एक्सपोजर ट्रेनिंग दिलाने का निर्देश भी दिया।
शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि कड़ी मेहनत और लक्ष्य के प्रति समर्पण से महिलाएं अपना भविष्य संवार सकती हैं। रास्ते में चुनौतियाँ आएंगी, लेकिन सफलता उसी की होगी जो बिना थके लगातार प्रयास करता रहे।
कार्यशाला के दौरान सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को 5 दिनों का मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षित महिलाओं को प्रमाण पत्र व मशरूम उत्पादन के 30 बैग प्रदान किए गए। ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण के साथ बी-कीपिंग किट का भी वितरण किया गया।
कार्यक्रम में संयुक्त कृषि निदेशक शशि भूषण अग्रवाल, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी चंचला कुमारी, जिला उद्यान पदाधिकारी महेश राम सहित कई अधिकारी, जनप्रतिनिधि और ग्रामीण उपस्थित थे।










