सासाराम। नगर पालिका में चपरासी की नौकरी से विधायक बने जवाहर प्रसाद कभी लालबत्ती कल्चर के खिलाफ अपनी राजदूत मोटरसाइकिल पर लालबत्ती लगाकर घूमा करते थे. इस चुनाव में भाजपा ने उनका काट दिया है। सासाराम की सीट इस बार जेडीयू के खाते में हैं. 2015 में आरजेडी के टिकट से विधायक बने डॉ. अशोक कुमार इस बार जेडीयू के टिकट से मैदान में हैं. उन्होंने पाला बदल दिया है. जबकि एलजेपी ने यहां बगल की सीट के भाजपा विधायक रामेश्वर प्रसाद को चुनाव मैदान उतार रखा है. रामेश्वर प्रसाद खुद भाजपा के पुराने और बड़े नेताओं में एक थे लेकिन उनकी सीट जेडीयू के खाते में गई तो उन्होंने बागवत करते हुए एलजेपी का दामन थाम लिया है.
बातचीत में जवाहर प्रसाद ने कहा कि मैं आरएसएस का कार्यकर्ता रहा हूं. संघ का अनुशासन मुझे ये नहीं सिखाता है. मुझे जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी मैं वही करुंगा. अब सब कोई तो संघी तो नहीं न हो जाएगा. आपने ये भी बताया मैं गलत चीजें बर्दाश्त भी नहीं कर पाता. लालू के राज में लाल बत्ती से क्राइम होता था. सब नेता लोग लालबत्ती लगा कर घूमते थे. इसलिए मैंने भी अपने मोटरसाइकिल पर लालबत्ती लगा लिया. सु्प्रीम कोर्ट ने इसको संज्ञान लिया और विधायक लोगों के लालबत्ती लगाने पर रोक लगी तो मैंने भी उतार दिया.
श्री प्रसाद ने कहा कि सासाराम एरिया में पहाड़ खनन को बहुत काम था. इसमें करीब एक लाख लोग काम करते थे. नीतीश कुमार ने रोक लगा दिया. सरकार का रेवेन्यू गया और एक लाख लोगों का रोजगार भी. उसके बाद भी गिट्टी आसानी से मिल रहा है. मैंने दो बार उनके साथ की सभा में उन्हीं के मंच क्रशर चालू कराने की मांग भी की. लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ.










