हजारीबाग। आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ-साथ लोगों को रोजगार देने के क्रम में बत्तख पालन प्रमुख जरिया बन गया है। यह मुर्गी पालन से थोड़ा भिन्न है, लेकिन इस में अच्छा मुनाफा भी प्राप्त होता है। हजारीबाग जिला के इचाक प्रखंड के मोकतमा गांव में लालटू पाठक द्वारा बृहद पैमाने पर बत्तख पालन किया जा रहा है। आज इस फॉर्म में करीब 2000 से अधिक बत्तख मौजूद हैं। सहयोगी अभिषेक मुर्मू का मानना है कि बत्तख पालन में प्रारंभ में विशेष देखभाल की जरूरत होती है, लेकिन बाद में इससे अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि मुर्गी फार्म से केवल मुर्गा ही बेच सकते हैं। फार्म वाला मुर्गी अंडा नहीं देती है, लेकिन बत्तख से आप अंडे भी प्राप्त कर सकते हैं और इसका मांस भी बेच सकते हैं। ऐसे में बत्तख पालन में दोहरा मुनाफा प्राप्त होता है।
पूर्व सांसद प्रतिनिधि सत्यनारायण सिंह भी मानते हैं कि बत्तख पालन एक अच्छा व्यवसाय है और इसमें कई लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता है। लोग आत्मनिर्भर भी होते हैं।
स्थानीय रामावतार स्वर्णकार का कहना है कि बत्तख पालन से रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। ऐसे में लोग अब बत्तख पालन की ओर विशेष ध्यान दे रहे हैं। स्वाभाविक है कि बत्तख पालन आने वाले समय में बेहतर रोजगार का जरिया बन सकता है।