रांची। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति रामेश्वर उरांव ने कहा है कि आर्थिक लॉकडाउन की जगह सोशल लॉकडाउन के माध्यम से किस तरह से अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। उरांव शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक को संबोधित कर रहे थे।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मौजूदा हालात में कई संगठनों की लॉकडाउन की आशंका को लेकर चिंता की जा रही है, लेकिन पार्टी का मानना है कि आर्थिक लॉकडाउन की जगह सोशल लॉकडाउन के माध्यम से भीड़ को रेगुलेरेट किया जाए। उन्होंने कहा कि अभी चैती छठ महापर्व हो रहा है, लोग छठ पर्व मनाये, लेकिन भीड़ किस तरह से नियंत्रित रहे। इस पर काम करने की जरुरत है। भीड़ या हुजूम लगाने की बाध्यता जरुरी है। उन्होंने बताया कि चैंबर के प्रतिनिधियों से भी उनकी बात हुई थी। उनसे यह जानने की कोशिश की गयी कि कैसे कोरोना चेन को तोड़ने के लिए पाबंदियां भी बढ़े और उनका कारोबार भी चलता रहा। इस संबंध में यह सुझाव आया है कि तीन दिन कपड़ा की दुकानें खुली, तीन तीन हार्डवेयर दुकानें खुली, इस तरह से अलग-अलग दिनों में अलग-अलग व्यवसायिक प्रतिष्ठान खुले रहे। इससे उनका कारोबार भी चलता रहेगा और कोरोना चेन को भी तोड़ने में मदद मिलेगी।
उरांव ने कहा कि आज कोरोना जांच हो रही है, लेकिन रिपोर्ट मिलने में विलंब होने से लोगों में भय और दहशत का माहौल बन जाता है। लोग चिंतित हो जाते है कि उनकी रिपोर्ट निगेटिव आएगी या पॉजिटिव। उन्होंने कहा कि रांची में कोरोना मरीजों के बढ़ते दबाव को देखते हुए रामगढ़ और लोहरदगा जैसे आसपास के जिलों में भी कोविड मरीजों के इलाज की व्यवस्था की जा सकती है।
इसके अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से आग्रह है कि वे केंद्र सरकार और अपने नेताओं से आग्रह करें कि टीकाकरण के लिए 45 वर्ष की उम्र की बाध्यता को कम किया जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण का खतरा मुख्य रूप से शहरों में है और अधिक से अधिक लोगों को टीका लगे, इसके लिए उम्र सीमा को कम करना चाहिए। क्योंकि डॉक्टरों का भी कहना है कि टीकाकरण के बाद संक्रमण उतना ज्यादा खतरनाक नहीं रहता।
उन्होंने कहा कि अब लोगों ने गांव-शहरों में मास्क लगाना शुरू कर दिया है, लेकिन बड़ी संख्या में लोग बड़े शहरों से से लौट रहे है। उनके लिए पिछली बार की तरह से क्वारंटाइन सेंटर की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अलावा गरीबों को रोजगार कैसे मिले, इसके लिए भी आवश्यक कदम उठाये जाने की जरूरत है। इसके अलावा डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है,ऐसे में एमबीबीएस फाइनल ईयर और नर्सिंग छात्राओं की भी सेवा लेने पर विचार करना चाहिए। इसके साथ ही माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाने बनाकर आवाजाही रोक कर चेन तोड़ा जा सकता है। साथ ही सरकार हर जरूरतमंद परिवारों तक पिछली बार की तरह घर-घर अनाज उपलब्ध कराये जाने की जरूरत है।
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