रांची। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ करने और नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से यूजीसी ने एक स्थायी कमेटी का गठन किया है। इस उच्च स्तरीय कमेटी का चेयरमैन झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास को बनाया गया है।
नौ सदस्यीय टीम में प्रो. दास काफी अनुभवी हैं, जिसका लाभ पूरी कमेटी को मिलने की उम्मीद है। स्थायी समिति मुख्य तौर पर विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा मानकों का उल्लंघन ना हो, इस पर विशेष नजर रखेगी। स्थायी समिति एम-फिल या पीएचडी डिग्री अवार्ड के लिए न्यूनतम मानकों और प्रक्रियाओं पर यूजीसी विनियमों के उल्लंघन को नियंत्रित करने के उपायों पर भी सुझाव देगी।
समिति इन विषयों पर करेगी काम
-दस्तावेजों के सत्यापन के लिए संस्थान या विश्वविद्यालयों की पहचान करना।
-संकाय नियुक्ति और पीएचडी प्रदान करने के संबंध में जानकारी एकत्र करना।
-नियुक्ति प्रक्रिया सुनिश्चित करने या पीएचडी डिग्री के लिए दस्तावेजों का सत्यापन यूजीसी के विनियमों के अनुरूप हो ।-नियमों की अनदेखी या उल्लंघन के मामले में उचित कार्रवाई की सिफारिश करना।
समिति को ये अधिकार होगा कि वो किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान के दस्तावेजों की जांच करके यह निर्धारित कर सकती है कि अमुक उच्च शिक्षा संस्थान यूजीसी के नियमों का पालन करते हैं या नहीं।
इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलने पर प्रो, क्षिति भूषण दास ने यूजीसी को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ही समाज को मजबूती प्रदान कर सकता है। इसके लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रियाओं में अनियमितताओं को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। अगर कोई शिक्षक गलत तरह से नियुक्त होगा तो वो समाज को क्या देगा।
उन्होंने कहा कि पीएचडी अवार्ड को लेकर कई शिकायतें पढ़ने सुनने को मिलती हैं, जो कि एक गंभीर समस्या है। इसे दूर करने के लिए स्थायी समिति गंभीरता से कार्य करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार पारदर्शिता की बात दोहराते हैं। ये स्थायी समिति कोशिश करेगी कि उच्च शिक्षा जगत में यूजीसी के नियमों की अनदेखी ना हो और मेधावी छात्रों के साथ न्याय हो।