नई दिल्ली : इसी साल अप्रैल महीने में केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने नया फैक्ट चेक निकाय बनाने की घोषणा की थी। उस समय सरकार ने जहां इसे फेक न्यूज रोकने की दिशा में बड़ा कदम बता रही थी, लेकिन विपक्षी पार्टियां इसे सेंसरशिप की आहट के रूप में भी देख रही थी। उस वक्त केंद्रीय आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया था कि सरकार का फैक्ट चेक निकाय गूगल, फेसबुक, ट्विटर जैसी इंटरनेट कंपनियों को फर्जी और गलत खबरों के बारे में जानकारी। जिसके बाद अब खबर आ रही है की सरकार अगले कुछ महीनों के भीतर डिजिटल इंडिया विधेयक के माध्यम से कड़े नियम जोड़ने जा रही है।
जैसे ही मोदी सरकार डिजिटल इंडिया विधेयक के माध्यम से इसमें नए प्रावधान जोड़ेगी वैसे ही आॅनलाइन फैक्ट चेकिंग प्लेटफॉर्म्स को सरकार से रजिस्ट्रेशन करवानी पड़ सकती है। मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इन प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है, ताकि फैक्ट चेक के नाम पर गलत न्यूज का फैलाव न हो सके।
सरकार द्वारा आगामी डिजिटल इंडिया विधेयक में इस प्रावधान को जोड़ने पर विचार चल रहा है। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक रजिस्ट्रेशन की इस प्रक्रिया को कई चरणों में पूरा किया जा सकता है। पहले चरण में पुराने और बड़े मीडिया संस्थानों को रजिस्ट्रेशन का मौका दिया जा सकता है। इसके साथ ही विधेयक में अलग-अलग आॅनलाइन मध्यस्थों के वर्गीकरण पर भी विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही इसमें फैक्ट-चेक करने वाले पोर्टल्स भी शामिल होंगे। सरकार के तरफ से भी पूरी तैयारी हो चुकी है और बिल का मसौदा अंतिम दौर में है।
बता दें कि विधेयक का मसौदा इसी जून महीने के अंत या जुलाई महीने की शुरुआत में सरकार द्वारा जारी किया जा सकता है। सरकार द्वारा नए विधेयक में फेक न्यूज के अलावा बच्चों को आॅनलाइन तौर पर प्रताड़ित करना, ट्रैप करना, किसी की आइडेंटिटी चुराना और अक प्लेटफॉर्म्स से जुड़े नुकसानों पर ध्यान दिया जा सकता है। बता दें कि मोदी गवर्नमेंट की इस नोटिफिकेशन की काफी आलोचना हुई थी