भगवान जगन्नाथ। धुर्वा थाना, रांची : जाको राखे सार्इंया….मार सके न कोय कहावत एक बार फिर रांची में चरितार्थ हुई है। एक कलयुगी मां ने अपने एक दिन के नवजात शिशु को जगन्नाथपुर मेला परिसर के पास फेंक दिया, नवजात बच्चे की रोने की आवाज सुनकर स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे तो देखा कि एक कपड़े में लिपटा मासूम रो रहा है।
क्या है भगवान जगन्नाथ को लेकर इस कहानी के पीछे का राज?
मौके पर सबसे पहले पहुंचे जितेंद्र नामक युवक ने बताया कि बच्चे के शरीर पर चिंटियां काट रहीं थीं जिसकी वजह से बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा था। आनन-फानन में जितेंद्र और उनके साथ दूसरे स्थानीय लोगों ने बच्चे को उठाया और नजदीक के डॉक्टर के पास ले गए। प्रारंभिक इलाज के बाद बच्चे ने रोना बंद कर दिया तो लोगों की सलाह पर धुर्वा थाने पहुंचकर स्थानीय लोगों ने मामले की जानकारी दी। जितेंद्र नायक ने धुर्वा थाना प्रभारी से काफी आग्रह किया है कि वह बच्चे को उसे दे दें उसे पालेगा। हालांकि, पुलिस ने जितेंद्र को समझाया कि गोद लेने की एक प्रक्रिया है उस से गुजर कर ही बच्चे को गोद लिया जा सकता है।
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इसके बाद धुर्वा थाना के द्वारा मामले की जानकारी सीडब्ल्यूसी और करुणा आश्रम को भी दी गई। जिसके बाद दोनों ही संस्थाओं से एक-एक टीम धुर्वा थाने पहुंची और सबसे पहले बच्चे को बेहतर इलाज और देखने के लिए रानी चिल्ड्रन अस्पताल में भर्ती करवाया। डॉक्टरों ने जांच के बारे में बताया है कि बच्चे का जन्म आज ही सुबह हुआ है, जिसके बाद उसे फेंक दिया गया ताकि उसकी मौत हो जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिलहाल बच्चा एकदम स्वस्थ है। थोड़े दिनों के इलाज के बाद उसे करुणा आश्रम भेजा जा सकता है। मानो ऐसा लगा की भगवान जगन्नाथ की कृपा उस बच्चे पर बनी हुई है।