Imphal : मुख्यमंत्री(Chief Minister) की अध्यक्षता में 12 जून को हुई बैठक और कार्यवाही के पैरा 5-(12) में लिए गए निर्णय के अनुसार, मणिपुर सचिवालय के सामान्य प्रशासन विभाग से वेतन प्राप्त कर रहे सभी कर्मचारियों को सूचित किया है कि उन सभी कर्मचारियों पर ‘काम नहीं, तो वेतन नहीं’ नियम लागू किया जा सकता है, जो अधिकृत छुट्टी लिए बगैर कार्यस्थल पर नहीं पहुंच रहे हैं। मणिपुर सरकार के लगभग एक लाख कर्मचारी हैं।
दरअसल, मणिपुर (Manipur) सरकार ने कार्यालय नहीं आने वाले अपने कर्मचारियों पर ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ नियम लागू करने का फैसला लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) से उन कर्मचारियों का ब्योरा देने के लिए कहा गया है, जो जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य की मौजूदा स्थिति के कारण कार्यस्थल पर उपस्थिति नहीं दर्ज करा पा रहे हैं।
परिपत्र में सभी प्रशासनिक सचिवों से उन कर्मचारियों का ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया है, जो राज्य के मौजूदा हालात के चलते कार्यालय नहीं आ रहे हैं। इसमें निर्देश दिया गया है कि सामान्य प्रशासन विभाग और कार्मिक विभाग को 28 जून तक ऐसे सभी कर्मचारियों के नाम, ईआईएन (कर्मचारी पहचान संख्या), मौजूदा पता सहित अन्य विवरण उपलब्ध कराए जाएं, ताकि उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके। मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के बीच मई की शुरूआत में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं
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वहीं, सेना (Army) ने लोगों से मणिपुर में शांति बहाल करने में उनकी मदद करने का आग्रह करते हुए कहा कि हिंसा प्रभावित इस पूर्वोत्तर राज्य में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियान में बाधा डाल रही हैं। सेना के ‘स्पीयर्स कोर’ (spears core) ने सोमवार देर रात ट्विटर पर ऐसी कुछ घटनाओं का एक वीडियो साझा कर कहा कि मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियान में बाधा डाल रही हैं।
इस तरह का अनुचित हस्तक्षेप गंभीर परिस्थितियों के दौरान जान-माल का नुकसान रोकने के लिए सुरक्षा बलों (security forces) को समय पर जरूरी कार्रवाई करने से रोकता है। उसने कहा कि भारतीय सेना (Indian Army) सभी वर्गों से शांति बहाल करने के हमारे प्रयासों का समर्थन करने की अपील करती है। मणिपुर की मदद करने में हमारी सहायता करें।