स्वदेश संवाददाता
एहसान अंसारी
चरही। थाना क्षेत्र में बेहत सनसनीखेज मामला सामने आया है। सब्जियों और फलों के पौधों में प्रयोग किये जाने वाले बड़े-बड़े कंपनियों में कीटनाशक दवाइयों का नकली उत्पादन करने के अवैध धंधे का खुलासा हुआ है। बीते बुधवार के शाम थाना क्षेत्र के भेलवाटांड़ में शुनिल शर्मा, पिता किशोर शर्मा के घर पर पुलिस ने छापा मार कर करोड़ो रुपये एफएमसी कंपनी का कोराजेन और इंफोफिल इंडस्ट्रीज लिमिटेड का एलेक्टो नामक कीटनाशक दवाइयां बरामत किया। पुलिस के अनुसार बुधवार को नानू राम नाम के व्यक्ति उत्तरप्रदेश के नोयडा स्थित कंपनी पायनियरींग इन्टेलीजेन्स सर्विसेस सेंटर से एवं राहूल कुमार साहू, इन्डोफिल इन्डस्ट्रीज लिमिटेड महाराष्ट्रा द्वारा अधिकृत पाचरेसी डिफेन्स फोर्स इंडिया प्रा०लि० नई दिल्ली से थाना आये और उन्होंने पुलिस नकली कीटनाशक तैयार हो रहे मिनी फैक्टरी की जानकारी दी। जानकारी के अनुसार कंपनी के दोनों अधिकारी कई दिनों से सुनील शर्मा के इस कार्य का पता लगा रहे थे और जैसे ही उन्होंने इसकी पुष्टि की वैसे ही पुलिस में कंप्लेन किया। पुलिस ने उक्त सूचना के आधार पर वरीय पदाधिकारी को सूचित करते हुए सनहा दर्ज किया। उक्त सूचना के आधार पर चूरचू अंचल के पु०नि० महेन्द्र प्रसाद सिंह, पु०अ०नि० सह चरही थाना प्रभारी विक्रम कुमार एवं स०अ०नि० तरुण कुमार महतो एवं सशस्त्र बल के साथ ग्राम भेलवाटांड स्थित सुनिल शर्मा के घर पर छापेमारी किया। पुलिस ने घर छापामारी में जो पाया उसे देख उनके होश उड़ गए। पुलिस द्वारा सुनील के घर से एफ.एम.सी. कम्पनी का मिलावट युक्त नकली कोराजेन (60 एमएल) के कुल 2344 भरी हुई शीशी और 225 खाली शीशी बरामद किया। साथ ही इसी कंपनी का कुल 11 हजार के करीब नकली स्टिकर भी बरामद किए। इसके अलावा इन्डोफिल इण्डस्ट्रीज लि. का एलेक्टो (25 एमएल) का भारी हुई कुल 3025 शीशी और 25 खाली शीशी बरामद किया। इसके साथ इसी कंपनी के कुल 12 हजार स्टिकर भी जप्त किया गया।
1300 रु० मूल्य के कीटनाशक को 150 रु० में बेचता था सुनील
सुनील शर्मा मूल रूप से बिहार के गया जिले के हबीबगंज का रहने वाला है। वर्षो से वह चरही एनएच 33 के बगल में मेंस सलून की दुकान चलाता है। सुनील चरही स्थित अपने घर में ही नकली कीटनाशक तैयार करने वाला मिनी फैक्टरी चला रहा था। बाजार में जिस असली 25 एमएल एलेक्टो नामक कीटनाशक दवा की कीमत 1300 रुपये है उसे यह केवल 150 रुपये में भी बेच देता था। इसी प्रकार असली 60 एमएल कोराजेन की कीमत 1130 रु० है उसे ऐसे ही 100-150 रु० में बेच कर मुनाफा कमाता था। जानकारी के अनुसार सुनील कई महीनों से यह कार्य कर रहा था। इस कार्य की भनक कंपनी को लग गयी थी, जिसके बाद उसने अपने अधिकारियों को भेजा। सुनील जिस दवाई के शीशी और स्टिकर का प्रयोग कर नकली कीटनाशक तैयार करता था वह बंगाल के किसी फैक्टरी में तैयार होता था। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार इस कार्य से कंपनी को करीब 3.5 करोड़ का नुकसान होता। आगे उन्होंने बताया कि इस नकली दवाईयों के प्रयोग करने से खेतों के खर-पतवार और फसलों में लगने वाले कीटों पर कोई असर नही होता, जिससे किसानों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ता। यही नही इसके प्रयोग से तैयार फसलों के सेवन से लोगो के सेहत को भी गंभीर नुकसान होता।