Kanpur: योगी सरकार (yogi government) में अति प्राचीन धरोहर Jagannath Temple तालाब का जीर्णोद्धार (restoration) किया जाएगा। इसके साथ ही भगवान जगन्नाथ मंदिर परिसर और तालाब के आस-पास किए गए अतिक्रमण को हटाया जाएगा। पुरातत्व विभाग के संरक्षण सहायक उपमंडल कानपुर अखिलेश तिवारी ने जीर्णोद्धार कराने की अनुमति प्रदान कर दी है। यह जानकारी गुरुवार को उपायुक्त श्रम रोजगार मनरेगा कानपुर पीडीएस रमेश चन्द्र ने दी।
उन्होंने बताया कि अति प्राचीन धरोहर राम कुण्ड तालाब का जीर्णोद्धार कराने के लिए कानपुर के जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर की नजर एक बार निरीक्षण के दौरान इस तालाब पर पड़ गई थी। इसके बाद से वह इसके लिए प्रयास करते रहे और पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) से इसकी अनुमति के लिए मनरेगा विभाग के माध्यम से पत्र भी भेजा था। हालांकि अब इसकी अनुमति पुरातत्व विभाग ने अनुमति दे दी है। लेकिन सर्त यह है कि तालाब की प्राचीनता के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए और तालाब की खुदाई में जेसीवी मशीन का प्रयोग पूरी तरह वर्जित रहेगा।
मनरेगा के मजदूर करेंगे तालाब की सफाई और खुदाई
प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूर ही इस तालाब के जीर्णोद्धार में काम करेंगे। तालाब की प्राचीन दीवारों को कोई क्षति नहीं आने दिया जाएगा। इसके साथ ही जहां भी तालाब की दीवारें क्षतिग्रस्त है, उसकी मरम्मत भी की जाएगी। इसकी पूरी योजना तैयार की जाएगी।
उन्होंने बताया कि कानपुर के भीतरगांव ब्लाक के बेहटा बुजुर्ग गांव में लगभग 4200 वर्ष पुराना मंदिर है। मंदिर के पास ही एक अति प्राचीन तालाब है। इसका नाम Jagannath Temple तालाब है। जिलाधिकारी कानपुर नगर विशाख जी अय्यर ने तालाब के संरक्षण और मरम्मत कराने के लिए आदेश दिया है।
जानें क्या है राम कुंड तालाब एवं जगन्नाथ मंदिर की कहानी
पुरातत्व विभाग के संरक्षण सहायक उपमंडल कानपुर अखिलेश तिवारी ने बताया कि राम कुंड तालाब कितना पुराना है, इसको लेकर कई मत है। इतिहासकारों की मानें तो इसे 9वीं शताब्दी का तो कुछ इसे बुद्ध कालीन बताते हैं। इसकी कलाकृति 9वीं शताब्दी की हैं। देखने में बौद्ध स्तूप (Buddhist Stupa) की तरह लगता है। इसलिए अलग-अलग मत है। तालाब के पास एक मंदिर है जो लगभग 4200 पुराना है। जबकि जीर्णोद्धार के बाद 1800 वर्ष पुराना बताया जाता है।
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने यहां पिता दशरथ किया था पिंडदान
राम कुंड तालाब को लेकर कहा जाता है कि भगवान राम ने यहां पर लंका विजय के बाद अपने पिता का पिंडदान किया था। एक वक्त था जब लोग इस तालाब में पिंड दान किया करते थे। समय के साथ ही साथ मंदिर हो या तालाब फिर गांव सब बदहाल हो चुके है।
रहस्यमयी मंदिर, मोटी और हल्की बूंदें करती हैं मौसम की भविष्यवाणी
दुनिया भर में तमाम रहस्यों के बीच कानपुर के इस मंदिर की चर्चा दुनिया भर में है। मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने वाला यह मंदिर अपने आप में अनोखा है। बारिश कैसी होगी, कब होगी ये मंदिर पहले ही संकेत दे देता है। प्राचीन धरोहर, पौराणिक कथाएं और न जाने कितने रहस्य ये हिंदुस्तान अपने आंचल में समेटे हुए है। कानपुर के जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर बेहटा बुजुर्ग गांव में ये रहस्यमयी मंदिर न जाने कितने रहस्य छिपे हुए हैं। इसे जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के नाम से जाना जाता है। यही नहीं जगन्नाथ मंदिर मानसून मंदिर के भी नाम से प्रसिद्ध है।
बेहटा बुजुर्ग गांव में भगवान जगन्नाथ का इकलौता मंदिर है। ऐसा मंदिर पूरे हिंदुस्तान (Hindustan) में आप को दूसरा नहीं मिलेगा। इस मंदिर की बनावट की बात हो या इसकी मूर्ति की, दोनों ही अपने आप में अनोखे हैं। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति है, जिसमें भगवान विष्णु (Lord Bishnu) के 24 अवतार साफ देखे जा सकते हैं। इन 24 अवतार में कलयुग में अवतार लेने वाले कल्कि भगवान की भी मूर्ति स्थापित है। जब इस मंदिर परिसर की देखभाल करने वाले पुरातत्व विभाग के कर्मचारी से यह पूछा गया कि आखिर यह मंदिर कितना पुराना है और उसकी मूर्ति कितनी पुरानी है। इस मंदिर को किसने बनाया ? उन्होंने बताया कि इस मंदिर में स्थापित मूर्ति की कार्बन रेटिंग के मुताबिक 4200 वर्ष पुरानी बतायी गयी है।