देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को गढ़ी कैंट स्थित शहीद दुर्गा मल्ल पार्क में बलिदानी मेजर दुर्गा मल्ल की प्रतिमा और चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले गोरखा समुदाय के लोगों को सम्मानित भी किया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अल्प आयु में ही मेजर दुर्गा मल्ल ने देश की रक्षा के लिए अपने सभी सुख, सुविधाओं को त्याग कर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने का जो दृढ़ साहस दिखाया था, उसे हमेशा याद किया जाएगा। विपरीत परिस्थितियों में भी राष्ट्र प्रथम की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने अपना सर्वस्व देश को अर्पण कर दिया। 1931 में दुर्गा मल्ल जी गोरखा राइफल्स में भर्ती हुए और यहीं से उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया। 1942 में वे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के आह्वान पर आजाद हिन्द फौज में भर्ती हो गये। 27 मार्च 1944 में अंग्रेज सैनिकों द्वारा दुर्गा मल्ल को युद्धबंदी बना लिया गया और सैनिक अदालत द्वारा उन्हें फांसी पर चढ़ाने का हुक्म दिया गया। 25 अगस्त 1944 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में स्वाधीनता के इस दीवाने ने हंसते-हंसते फांसी का फन्दा अपने गले में स्वीकार किया।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि एवं वीरों की भूमि है, बलिदानियों की भूमि है। यह बात हमारे सैनिकों ने आज तक हुए सभी युद्धों में सिद्ध भी किया है। केन्द्र सरकार जहां एक ओर सेना के आधुनिकीकरण पर बल दे रही है, वहीं दूसरी ओर सैनिकों और उनके परिवारों को मिल रही सुख-सुविधाओं का भी ख्याल रख रही है।
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इस मौके पर मंत्री गणेश जोशी ने शहीद मेजर दुर्गा मल्ल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्हें आजाद हिन्द फौज में गुप्तचर का कार्य दिया गया था। उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को कर्तव्यनिष्ठा से पूरा किया और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। हम सबको उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।