Kanker: बस्तर अंचल में जनजातीय समुदायों की अपनी अलग सांस्कृतिक विरासत है। आदिवासियों के विरासत में आस्था का केन्द्र देवगुड़ी-मातागुड़ी है, जिसकी जनजातीय समुदायों में अपनी महत्ता है। बस्तर में क्षेत्रवार आदिवासी समुदायों के देवी-देवताओं की वाचिक परम्परा में प्रचलित मान्यताओं को लेखबद्ध कर उन्हें जारी किये गये सामुदायिक वन अधिकार के प्रपत्रों को संकलित कर पुरखती कागजात नामक (भाग एक) पुस्तिका तैयार की गई है। पुरखती कागजात (भाग-दो ) में संरक्षित खसरों का संकलन है, जिसमें भुईया के माध्यम से खसरे के कैफियत कॉलम में मातागुडी, देवगुड़ी के नाम व रकबा उल्लेखित कर राजस्व अभिलेख संरक्षित किया गया है। उपरोक्त पुस्तिका का विमोचन आज शुक्रवार को कांकेर के जनसभा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (National General Secretary Priyanka Gandhi Vadra) द्वारा किया गया।
संभाग में निवासरत प्रमुख आदिवासी समुदायों यथा-गोड, हल्बा, भतरा, धुरवा, मुण्डा, मुरिया, कोया समुदाय के लोगों के जीवन में प्रचलित सांस्कृतिक रीति-रिवाजों एवं विभिन्न प्रकार के जन्म-मृत्यु संस्कारों, त्यौहारों. विभिन्न परम्पराओं एवं मान्यताओं पर आधारित सामाजिक ताना-बाना नामक पुस्तिका बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित की जा रही है, जिसका विमोचन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा किया गया।
बस्तर अंचल के महान वीर सपूतों एवं वीरांगनाओं की स्मृति को चिरस्थायी एवं जीवंत बनाए रखने के लिये वीर सपूतों एवं वीरांगनाओं की प्रतिमा की स्थापना हेतु 37 कार्य 392.03 (तीन करोड़ ब्यान्नबे लाख ) की रूपए प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत किये गये हैं। बस्तर के ऐतिहासिक गौरवपूर्ण इतिहास में हुए विभिन्न प्रकार के आदिवासी विद्रोह, हल्बा विद्रोह, भोपालपट्नम विद्रोह, परल कोट विद्रोह, तारापुर विद्रोह, मेरिया माडिय़ा विद्रोह, लिंगागिरी विद्रोह, कोई विद्रोह, मुरिया विद्रोह, भूमकाल विद्रोह आदि की तत्कालीन परिस्थितियों से आज की आने वाले पीढिय़ों को अवगत कराने एवं अपने गौरवपूर्ण इतिहास के प्रति आत्म गौरव जागृत कराने हेतु बस्तर का मुक्ति संग्राम नामक डॉक्यूमेंट्री सिरीज तैयार की जा रही है, जिसका लोकार्पण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा किया गया।
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बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के कार्यों को और अधिक ग्रामीणों तक सुलभ बनाने के लिये बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का अधिकृत वेबसाइट तैयार किया गया है, जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा किया गया।
देवस्थलों के परिसरों में वृहद स्तर पर फलदार एवं छायादार पौधरोपण किया जा रहा है। इसके साथ ही उक्त देवस्थलों का सामुदायिक वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदान कर देवगुडिय़ों एवं मातागुडिय़ों सहित गोटुल एवं प्राचीन मृतक स्मारकों के भूमि को संरक्षित करने के उद्देश्य से सम्बंधित देवी-देवताओं के नाम से भूमि को राजस्व अभिलेख में दर्ज किया गया है। वहीं इन देवगुडिय़ों-मातागुडिय़ों और गोटुल एवं प्राचीन मृतक स्मारकों को उनके नाम से सामुदायिक वनाधिकार मान्यता पत्र जारी किया गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य देश का ऐसा प्रथम राज्य एवं बस्तर संभाग देश का ऐसा प्रथम संभाग है, जहां अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 की धारा 3(1) (ठ) के तहत देवी-देवताओं के नाम से ग्राम सभा को 2453 सामुदायिक वनाधिकार पत्र प्रदान किये गये हैं, इनमें कुल 7075 मातागुडी, देवगुडी, गोटूल, प्राचीन मृतक स्मारक के लिये 2607.20 हेक्टेयर (6466 एकड़) भूमि राजस्व अभिलेखों में प्रविष्टि कर संरक्षित किया गया है। बस्तर संभाग में कुल 22884 बैगा, सिरहा, मांझी, गुनिया, गायता, पुजारी, बजनिया, अटपहरिया आदि को राजीव गांधी भूमिहीन कृषक मजदूर न्याय योजना अन्तर्गत पंजीकृत किया जाकर प्रत्येक को प्रतिवर्ष रूपये 7000 प्रदान किया जा रहा है।