भोपाल: देशभर के विभिन्न राज्यों के जल संसाधन मंत्री दो दिन तक मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जुटेंगे और वाटर विजन-2047 पर मंथन करेंगे। यहां कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आगामी पांच और छह जनवरी को वॉटर विजन 2047 सम्मेलन होगा। सम्मेलन में राज्यों के तमाम जल संसाधन मंत्री शामिल होंगे। इसमें पीएम नरेन्द्र मोदी भी वर्चुअली शामिल हो सकते हैं। केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल ने सोमवार प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चुनौतियों के समाधान के लिए वाटर विजन जरूरी है। समस्याओं को चिन्हित करना और समाधान को सामने रखना है। चीन से आने वाली नदियां हमारे लिए चुनौती है। चीन ऐसा देश है, जो अपनी नदियों के ऊपर बांध बना रहा है यह एक चुनौती है। वह कल के दिन नदियों को एक हथियार के रूप में तो इनका उपयोग नहीं करेगा, इसलिए भारत सरकार सजग है। समय से यदि वाटर मैनेजमेंट नहीं किया, तो आने वाले समय में ये चुनौती बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि अब तक सेक्रेटरी लेवल पर हुई चर्चाओं को लेकर देशभर के सभी राज्यों के मंत्रियों के साथ संवाद होगा। सभी मंत्री अपने-अपने राज्य की चुनौतियों के बारे में जानकारी देंगे। सभी मंत्री सुझाव और समाधान भी बताएंगे। इसमें होने वाला संवाद आने वाले 25 साल का रोडमैप तैयार करेगा। इसके बाद केंद्रीय स्तर पर वाटर मैनेजमेंट को लेकर प्लान बनाया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री पटेल ने कहा कि 2015 में स्वच्छता अभियान शुरू हुआ था। दुनिया के अनुमानों से 11 साल पहले भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य हासिल किया। ऑपरेशनल टॉयलेट के लिए पानी की जरूरत होती है। अगर डिफंक्ट टॉयलेट है, तो उसे अनुपयोगी टॉयलेट नहीं मानते। जल जीवन मिशन की घोषणा के वक्त 2019 में कुल 3 करोड़ 23 लाख परिवारों को पाइपलाइन से पानी मिलता था। वर्तमान में 10 करोड़ 56 लाख परिवारों को नल से जल मिल रहा है। उन्होंने कहा कि गांवों में वाटर सप्लाई के लिए पानी का सोर्स यदि 30 साल तक है, तो स्थाई स्त्रोत माना जाएगा। शुद्ध पानी के लिए जल एवं स्वच्छता समिति होगी ये पंचायत समिति से अलग बनेगी। ये नल-जल योजना के संचालन और संधारण का काम करेगी। उन्हीं में से पांच महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी। ये महिलाएं गांव में सप्लाई होने वाले पानी की जांच करेंगी। इसके लिए उन्हें वाटर टेस्ट किट दी जाएगी।