नई दिल्ली : केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार शिक्षा, शोध, उत्पाद और सेवा के माध्यम से वैश्विक स्तर पर एक संगठित आयुर्वेद तंत्र का निर्माण कर रहा है। आयुर्वेद चिकित्सा हजारों साल पुरानी एक संस्कृति का हिस्सा है और प्राचीन काल से यह भारत के समाज, शिक्षा, सेवा और जीवनचर्या के रूप में मौजूद रही है। वे गुरुवार को हरियाणा के पंचकुला में आठवें आयुर्वेद दिवस के मौके पर आयोजित समारोह के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। इस मौके पर देश के आठ राज्यों की नेशनल आयुष मिशन (एनएएम) रिव्यू मीटिंग भी आयोजित की गयी। सोनोवाल ने कहा कि हाल ही में जी20 की बैठक में भारत ने वसुधैव कुटुंबकम का संदेश सदस्य देशों के सामने प्रस्तुत किया, जिसे सभी की सहमति प्राप्त हुई और जी-20 डिक्लेरेशन के जरिये एक अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई।
नये-नये प्रयोगों को लेकर लगातार आगे बढ़ते रहने की सोच जिनमें से आयुष का विकास भी एक है, भारत को एक विकासशील देश से विश्व के पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि युवा और जन सामान्य सभी कृषि, बागबानी और पशु चिकित्सा से जुड़े आयुर्वेद के उत्पादों का व्यावसायिक निर्माण कर सफल स्टार्टअप्स का निर्माण कर सकते हैं। ऐसे स्टार्टअप्स के बनने और बढ़ने से भारत की अर्थव्यवस्था एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बन कर और मजबूत बन सकेगी। आयुर्वेद दिवस के मौके पर आयोजित कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन में केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री मुंजपरा महेंद्रभाई भी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। मुंजपरा ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा का विकास सरकार की जिम्मेदारी है और आयुर्वेद चिकित्सा की खास बात है कि वो स्वस्थ रहने के लिए जन सहभागिता पर जोर देती है। आयुर्वेद को जीवनचर्या का हिस्सा बनाकर स्वास्थ्य जगत की सर्विस डिलवरी को और अधिक मजबूत किया जा सकता है।