Palamu । पलामू जिले के मनातू प्रखंड में शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है। यहां के विद्यालय बच्चों के भविष्य निर्माण के बजाय भ्रष्टाचार और शिक्षकों की लापरवाही का अड्डा बनते जा रहे हैं। गुरूवार को ऐसा ही एक मामला उत्क्रमित मध्य विद्यालय जसपुर से सामने आया है, जहां नामांकन तो 76 बच्चों का है, लेकिन उपस्थिति मात्र तीन पाई गई।
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विद्यालय में शिक्षा के नाम पर केवल दिखावा हो रहा है। प्रधानाध्यापक वीरेंद्र प्रताप साहू ने ठंड का बहाना बनाकर बच्चों की अनुपस्थिति का कारण बताया, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह लापरवाही और शिक्षकों की मनमानी का नतीजा है। ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विद्यालय विकास मद की राशि हर साल लाखों में मिलती है, लेकिन उसका उपयोग केवल कागजों तक ही सीमित है। न विद्यालय भवन की मरम्मत होती है और न शौचालय उपयोग लायक। छत का प्लास्टर टूटकर गिर रहा है, शौचालय जर्जर है, और बच्चे जंगल में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं।
बच्चों की उपस्थिति के साथ भी खिलवाड़ होता है। फर्जी हस्ताक्षर बनाकर हाजिरी रजिस्टर में उपस्थिति बढ़ाई जाती है और मध्यान्ह भोजन (एमडीएम) के नाम पर राशि गबन की जाती है। मीनू के अनुसार भोजन नहीं बनता और लकड़ी पर खाना पकाकर व्यवस्था का मखौल उड़ाया जाता है।
साइकिल वितरण में भी अवैध वसूली के आरोप लगे हैं। विद्यालय में कार्यरत दो शिक्षकों की कोई समय-सारणी नहीं है। वे अपनी मर्जी से आते-जाते हैं, जिससे बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। मनातू प्रखंड के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से जांच और कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो बच्चों की पढ़ाई का स्तर और गिर जाएगा। क्या प्रशासन इस शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की दिशा में कदम उठाएगा या यहां की शिक्षा व्यवस्था ऐसे ही दम तोड़ेगी?
इस मामले में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी परमेश्वर शाहू से जानकारी के लिए संपर्क किया गया तब उसे संपर्क नहीं हो पाई।