लखनऊ: बालजी वर्ष 1962 में स्व.अशोक सिंहल की प्रेरणा से नौकरी छोड़कर संघ के प्रचारक बने। तब से अपना सारा जीवन हिन्दू समाज एवं देश की सेवा में समर्पित कर दिया। स्वयं के प्रति वह बड़े कठोर थे। अपने आचरण व व्यवहार से कार्यकर्ताओं को प्रेरणा देते थे। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन ने कही।
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वह बुधवार को विशालखण्ड गोमतीनगर स्थित सीएमएस सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्हाेंने बताया कि लम्बे समय तक उनके साथ रहने का मुझे अवसर मिला। बालजी के साथ घूमते फिरते ही मुझे संघ व शाखा का संस्कार मिला। जब मैं काशी में महानगर प्रचारक था तब बालजी विभाग प्रचारक थे। काशी की गलियों हमें हमने उन्हें स्कूटर पर बैठाकर खूब घुमाया है। कार्यकर्ताओं के सुख दु:ख में बालजी खड़े होते थे। कार्यकर्ताओं को प्रेम से डांटते थे। जिन बातों को नहीं करना उसे वह कठोरता से मना करते थे। शारीरिक प्रमुख तो वह थे ही। घोष के भी अच्छे वादक थे। समर्पण का भाव गहराई से उनके मन में था।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, महिला एवं बाल विकास मंत्री बेबीरानी मौर्य, श्याम नंदन सिंह, प्रान्त प्रचारक कौशल, क्षेत्र के प्रचार प्रमुख सुभाष, सह प्रचार प्रमुख मनोजकांत, समरसता विभाग के प्रान्त प्रमुख राजकिशोर, प्रान्त कार्यकारिणी के सदस्य प्रशान्त भाटिया, विभाग कार्यवाह अमितेश, विभाग प्रचारक अनिल, भाजपा से भारत दीक्षित, किसान संघ से अशोक यादव, विद्या भारती से जय प्रताप सिंह, लोक भारती से बृजेन्द्र पाल सिंह, आरोग्य भारती से डाॅ.बीएन सिंह ने श्रद्धांजलि दी।