नई दिल्ली। सहारा ग्रुप को एक बार फिर से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा बहु राज्य सहकारी समिति के केंद्रीय रजिस्ट्रार को निवेशकों (Investors) के आवेदन की जांच के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सहारा ग्रुप की सोसाइटी को किसी नए निवेश को स्वीकार करने पर रोक लगा दी गई है।
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सहारा ग्रुप के निवेशकों के कई आवेदन प्राप्त हुए थे। जिनमें कहा गया था कि मैच्योरिटी के बाद भी उन्हें अपना पैसा नहीं मिला है। इसके बाद यह मामला High Court पहुंचा था। वही बार और बेंच की रिपोर्ट के बाद अब इस मामले में सहारा ग्रुप को बड़ा झटका देते हुए मल्टी स्टेट को ऑपरेटिव सोसाइटी को निर्देश दे दिए हैं। वहीँ कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोऑपरेटिव सोसाइटी और SAHARA ग्रुप की दो अन्य सोसाइटी में दायर याचिका को देखते हुए उन्होंने जमा लेने के साथ-साथ मौजूदा सदस्य के निवेश से जमा राशि को नवीनीकृत करने पर भी रोक लगा दी है।
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इससे पहले केंद्रीय रजिस्ट्रार के आदेश पर हाई कोर्ट द्वारा नए निवेश पर पिछले साल जनवरी में रोक लगा दी गई थी। बावजूद इसके याचिकाओं में सैकड़ों लोगों द्वारा सोसाइटी में निवेश की बात कही गई है और उनके निवेशक होने का दावा किया गया है। इतना ही नहीं, आए हजारों आवेदन में यह कहा गया है कि उनका निवेश Mature हो जाने के बाद भी अभी तक उन्हें मैच्योरिटी की राशि का भुगतान नहीं किया गया है।
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इस मामले में बड़ा दावा पेश करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि लगभग 7 से 10 करोड़ लोगों द्वारा सहारा के इन तीनों सोसाइटी में निवेश किया गया है लेकिन इसके बावजूद मेच्योरिटीज पर उन्हें इसकी राशि का भुगतान नहीं किया गया है।
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एक अन्य जानकारी के मुताबिक इन सोसाइटी से 2000 करोड़ से अधिक की राशि भी ली गई थी और इसे सुब्रत राय की जमानत सुरक्षित करने के लिए SEBI के पास जमा किया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट में सहारा समूह की ओर से दावा पेश कर रहे वरिष्ठ वकील एसबी उपाध्याय का कहना है कि सरकार के आदेश और उसके निपटारे के लिए एक आंतरिक तंत्र तैयार किया गया है।
उन्होंने अदालत में बताया कि जनवरी 2021 में सोसाइटी द्वारा अपनी निवेशकों को 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है जबकि अभी आई शिकायतों की राशि, इन्वेस्टर्स की कुल संख्या के 0.006 कम है।
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इसके साथ ही वरिष्ठ वकील एसबी उपाध्याय ने अदालत से अपील की है कि आगे की जमा राशि स्वीकार करने पर रोक नहीं लगाया जाए लेकिन फिलहाल बार एंड बेंच की तरफ से नए निवेश पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा मौजूदा निवेशक के डिपाजिट को रिन्यू करने से भी रोक दिया गया है।