Saraikela: आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में भीषण जल संकट तथा व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी का जनाक्रोश मार्च सह विशाल धरना प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शन में निगम क्षेत्र की जनता बाल्टी, डेकची के साथ शामिल हुई।
उल्लखेनीय है कि आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में लोग बूंद-बूंद पानी को मोहताज हैं। इस मामले को लेकर भाजपा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत प्रदर्शन किया। आदित्यपुर फुटबॉल मैदान में एकत्रित लोग बर्तन और बाल्टी के साथ पदयात्रा करते हुए आदित्यपुर नगर निगम कार्यालय पहुंचे। जहां लोगो ने धरना-प्रदर्शन किया। भाजपाइयों के उग्र आंदोलन को देखते हुए नगर निगम कार्यालय के गेट को निगम प्रशासन ने बंद कर दिया। जबकि अधिकांश निगम के प्रशासनिक अधिकारी कार्यालय से नदारत दिखे।
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भाजपा द्वारा घोषित इस विरोध मार्च में पूर्व पार्षदों समेत नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर अमित सिंह बॉबी शामिल रहे। मौके पर पूर्व डिप्टी मेयर ने कहा – आदित्यपुर नगर निगम में पांच वर्षों का इनके कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही जल संकट ने भयावह रूप ले लिया है। पूर्व में पार्षदों द्वारा क्षेत्र में जल संकट की समस्या को देखते हुए नगर निगम प्रशासन पर दबाव डालकर जलापूर्ति जैसे समस्याओं को दूर किया जाता था, लेकिन अब नगर निगम के प्रशासनिक अधिकारी कान में तेल डालकर सोए हुए हैं। उन्होंने कहा कि पहले 24 हजार लीटर के छह टैंकरों से पूरे निगम क्षेत्र में जलापूर्ति हो रही थी। जिसे घटा कर एक कर दिया गया है। पेयजल पाइपलाइन योजना समेत सीवरेज ड्रेनेज योजना पर कार्य कर रही एजेंसियों की मनमानी बढ़ गयी है। इन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जिला होने के बावजूद लोग पेयजल के लिए तरस रहे हैं जो दुखद है।
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कार्यक्रम में मौजूद भाजपा जिला अध्यक्ष उदय सिंह देव ने वर्तमान राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि होल्डिंग टैक्स में सरकार ने अप्रत्याशित वृद्धि की है। जो आम आदमी पर बोझ है। मौके पर मौजूद भाजपा एसटी मोर्चा प्रदेश कोषाध्यक्ष गणेश महाली ने सरायकेला के विधायक सह के राज्य मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पर क्षेत्र की जनता के साथ भेदभाव संबंधित गंभीर आरोप लगाये। गणेश महली ने कहा कि 30 सालों से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करनेवाले राज्य के मुख्यमंत्री लोगों के साथ भेदभाव कर रहे हैं। इन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है जिसके लिए मुख्यमंत्री और सरकार जिम्मेदार है।