Patna: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (Former Chief Minister Karpoori Thakur) को भारत रत्न (Bharat Ratna) देने का फैसला किया गया है। वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे और पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे।कर्पूरी ठाकुर बिहार में एक बार उपमुख्यमंत्री, दो बार मुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे। 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद वे बिहार विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे।
सोमवार को ही जदयू ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (Bharat Ratna) देने की मांग की थी। केसी त्यागी ने कहा था कि कर्पूरी ठाकुर जननायक थे और उन्होंने समाज के लिए बहुत से काम किए। त्यागी ने कहा था कि कोई जननायक यूं ही नहीं बन जाता। उन्होंने कहा, “कर्पूरी ठाकुर ईमानदारी, सादगी और उच्च राजनीतिक मूल्यों के अनुकरणीय व्यक्तित्व हैं। उनका पूरा जीवन समाज के आखिरी व्यक्ति को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की फिक्र में गुजर गया।”
कर्पूरी ठाकुर से जुड़ी अहम बातें-
24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर में जन्मे कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के सीएम रहे पर एक भी बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
कर्पूरी ठाकुर जब मुख्यमंत्री बने तो बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए मुंगेरी लाल आयोग की अनुशंसा लागू कर आरक्षण का रास्ता खोल दिया। उन्हें अपनी सरकार की कुर्बानी देनी पड़ी, लेकिन जननायक अपने संकल्प से विचलित नहीं हुए।
कर्पूरी ने ही बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी पास करने की अनिवार्यता को खत्म किया। उन्होंने ही सबसे पहले बिहार में शराबबंदी लागू की। सरकार गिरने पर राज्य में फिर से शराब के व्यवसाय को मान्यता मिल गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कई बार इस घटना का जिक्र किया।