रांची: झारखंड राज्य डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जहां तकनीक विशेष रूप से मोबाइल स्मार्टफोन, महिला सशक्तिकरण और समाज कल्याण की दिशा में नई संभावनाएं खोल रही है। शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में सीएम हेमंत सोरेन ने आंगनवाड़ी सेविकाओं को स्मार्ट फोन बांटा। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति से आंगनबाड़ी सेविकाएं सशक्त हुईं है। इसका परिणाम आने वाले दिनों में दिखेगा। बता दें कि महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा हाल ही में राज्य की 37,810 आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्मार्टफोन प्रदान किए गए हैं। इसका उद्देश्य सेवा वितरण को पारदर्शी, प्रभावी और डेटा-संचालित बनाना है।
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स्मार्टफोन से बढ़ा आत्मविश्वास
कांके प्रखंड की सरिता कुमारी सुकरुहुटू आंगनबाड़ी केंद्र में सेविका हैं। उन्होंने बताया कि स्मार्टफोन मिलने से मेरे कार्यों में आत्मविश्वास आया है। अब मैं स्वयं लाभार्थियों की तस्वीरें खींच सकती हूं, आधार प्रमाणीकरण कर सकती हूं और टी.एच.आर जैसी सेवाएं समय पर दे सकती हूं।
कार्य निष्पादन में बनी आत्मनिर्भर
स्मार्टफोन ने आंगनबाड़ी सेविकाओं को न केवल तकनीकी रूप से सशक्त किया है, बल्कि उन्हें कार्य निष्पादन में आत्मनिर्भर भी बनाया है। पहले जहां सेविकाएं दूसरों के फोन पर निर्भर थीं, वहीं अब वे स्वयं लाभार्थियों का डेटा वास्तविक समय में अंकित कर रही हैं। इस तकनीकी पहल का प्रत्यक्ष प्रभाव राज्य में आईसीडीएस सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ा है। मार्च 2023 में आधार सत्यापित लाभार्थियों की संख्या 17,44,100 (48.03%) थी, जो मार्च 2025 तक बढ़कर 30,11,829 (97.22%) हो गई है। इस उपलब्धि में स्मार्टफोन की अहम भूमिका रही है। वर्तमान में झारखंड के 38,523 आंगनबाड़ी केंद्रों में सेविकाएं डिजिटल माध्यम से सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
योजनाओं की हो रही निगरानी
स्मार्टफोन के माध्यम से दर्ज किए गए आंकड़ों के आधार पर जिला और राज्य स्तर पर योजनाओं की प्रगति की निगरानी की जा रही है। यह न केवल सेवा वितरण में पारदर्शिता लाता है, बल्कि बुनियादी ढांचे के सुधार और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में भी मदद करता है। बता दें कि राज्य सरकार ने हाल के वर्षों में आंगनबाड़ी केंद्रों को मजबूत करने के लिए कई पहल की हैं। सभी केंद्रों को आवश्यक बर्तन प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही प्राथमिक चरण में 16,775 केंद्रों को एलईडी टीवी, आरओ जल शुद्धिकरण यंत्र, विद्युत कनेक्शन, पंखे, शौचालय और सुरक्षित पेयजल जैसी सुविधाओं से लैस किया गया है।
1200 से गांवों में खुलेगा आंगनवाड़ी केंद्र
सरकार ने 1,200 से अधिक आदिवासी बहुल गांवों की पहचान की है, जहां नए आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। इन केंद्रों के माध्यम से जनजातीय समुदायों को पोषण, स्वास्थ्य और प्रारंभिक शिक्षा की सेवाएं दी जा रही हैं। जल्द ही इन केंद्रों में सेविका और सहायिका की नियुक्तियां भी की जाएंगी। झारखंड में आंगनबाड़ी केंद्र अब मात्र सेवा वितरण केंद्र नहीं, बल्कि सामुदायिक विकास और महिला सशक्तिकरण के केंद्र बन चुके हैं। ‘अबुआ सरकार’ की यह पहल राज्य के समावेशी विकास का प्रतीक बन रही है, जहां तकनीक और सेवा का संगम ग्रामीण झारखंड की तस्वीर बदल रहा है।